पंजाब चुनाव: ‘निराश’ गन्ना किसानों ने वोट देने से किया इनकार

कपूरथला: पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए केवल कुछ ही दिन शेष हैं, और राजनीतिक दल पंजाब के लोगों से बेहतर भविष्य के लिए वादे करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राजनीतिक दलों के तमाम वादों के बीच अपने खेतों में पसीना बहा रहे किसानों ने कहा कि वे वोट नहीं देंगे क्योंकि अब तक की तमाम सरकारों से मिली निराशा ने उन्हें भविष्य को लेकर निराश कर दिया है।

ANI में प्रकाशित खबर के मुताबिक, किसानों ने कहा, “वोट देने का क्या फायदा जब कोई सरकार हमारे लिए नहीं सोचती? गन्ने की खेती के लिए मशहूर पंजाब के कपूरथला जिले के किसान काफी मायूस हैं क्योंकि सरकार ने गन्ने के दाम प्रति क्विंटल बढ़ा दिए हैं, लेकिन भुगतान समय पर नहीं हो रहा है।

ANI से बात करते हुए, लखनपुर गांव के गन्ना किसान संतोख सिंह ने कहा, मैं लगभग 10 एकड़ जमीन में गन्ने की खेती करता हूं। गन्ने का कारोबार अभी ठीक नहीं चल रहा है। सरकार भी इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। संतोख सिंह ने आगे कहा, गन्ना उगाने में पूरा एक साल लग जाता है और जब हम इसे लेकर चीनी मिल में जाते हैं, तो हमें भुगतान के मुद्दों को देखना पड़ता है। फगवाड़ा चीनी मिल ने 2019-20 और 2020-21 के लिए गन्ना भुगतान नहीं किया है। फगवाड़ा चीनी मिल पर 2 साल का भुगतान अभी भी अटका हुआ है।

गन्ने की कीमत को लेकर किसानों ने पंजाब सरकार पर सवाल उठाए हैं। संतोख सिंह ने कहा, पंजाब सरकार ने 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के बाद 360 रुपये प्रति क्विंटल की अधिसूचना जारी की है। लेकिन निजी चीनी मिलों ने कहा कि, वे इतना पैसा नहीं दे सकतीं। फिर बातचीत के बाद यह तय हुआ कि चीनी मिलें किसानों को 325 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करेंगी और शेष 35 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान पंजाब सरकार द्वारा किया जाएगा। एक अन्य किसान सतविंदर सिंह ने खेद व्यक्त करते हुए कहा, एक तरफ श्रम लागत बढ़ रही है और दूसरी ओर बीज और उर्वरक की लागत भी बढ़ रही है। हम अनुबंध के आधार पर जमीन लेकर बड़े पैमाने पर गन्ना उगाते हैं, जिसका रेट भी बढ़ा दिया गया है। लेकिन गन्ने के रेट उस हिसाब से नहीं बढ़े हैं। सतविंदर के मुताबिक, सरकार की अधिसूचना के अनुसार तय की गई पूरी कीमत किसानों को नहीं मिल रही है।

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