यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

नई दिल्ली : यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की संभावना दिन-ब-दिन तेजी से बढ रही है। सारी दुनिया की नजरें अमेरिका और रूस के बीच वार्ता पर टिकी है, लेकिन वार्ता में प्रगति की कमी के कारण दुनियाभर के शेअर बाजारों में गिरावट आई है और अनिश्चितता के बीच तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। इस असंमजस कि स्थिति से निपटने ने के लिए कई देश काउंटर उपाय कर रहे हैं। भले ही भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई रुख नहीं अपनाया है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि भारत अपना पक्ष रखेगा। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के संभावित प्रभावों पर प्रकाश डाला गया था।

आक्रमण का मुख्य प्रभाव कच्चे पेट्रोलियम की कीमतों में महसूस किया जाएगा, जो पहले से ही उच्च स्तर पर हैं। वर्तमान में एक सप्ताह से अधिक समय से कच्चे तेल की कीमतें $90 प्रति बैरल पर हैं, जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण ने 70-75$ प्रति बैरल के मूल्य निर्धारण का अनुमान लगाया था। रॉयटर्स ने बताया, दोनों बेंचमार्क (पेट्रोलियम की कीमतों के लिए) सोमवार (14 फरवरी) को सितंबर 2014 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए, जिसमें ब्रेंट 96.78$ और डब्ल्यूटीआई 95.82$ तक पहुंच गया। वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन में रूस की हिस्सेदारी लगभग 13 प्रतिशत है, जो कि OPEC (पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन) के कुल उत्पादन का लगभग आधा है। रॉयटर्स के अनुसार, प्राकृतिक गैस की कीमतों में भी तेज वृद्धि देखने की उम्मीद है, क्योंकि वैश्विक आपूर्ति का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा रूस से आता है।

अमेरिका ने रूस पर गंभीर प्रतिबंधों की चेतावनी दी है, जो बाद में रूस के साथ व्यापार करने वाले किसी भी देश के लिए भी लागू हो सकते है। 2021 के अंत में जब व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए भारत आए थे, तब रूस के साथ संबंधों को मजबूत करने की बात कही गई थी, लेकिन इस परिपेक्ष में भारत की योजनाओं में बाधा आ सकती है। पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में रूसी आयात भारत के कुल आयात का 1.4 प्रतिशत था। भारत और रूस के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाना दोनों देशों की प्रमुख प्राथमिकता है, जैसा कि द्विपक्षीय निवेश को 3.75 लाख करोड़ रुपये (50 बिलियन डॉलर) और द्विपक्षीय व्यापार को 2.25 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने के संशोधित लक्ष्यों से स्पष्ट है।

रूस दुनिया में सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा जारी मार्च 2021 की फैक्टशीट के अनुसार, रूस से भारत बड़े पैमाने हथियार आयात करता है। भारत ने 2019-20 में विभिन्न प्रकार के रूसी हथियारों के लिए नए ऑर्डर दिए। आगामी डिलीवरी से संभवत: आने वाले पांच वर्षों में रूसी हथियारों के निर्यात में वृद्धि होगी।

मॉस्को में भारतीय दूतावास की वेबसाइट के अनुसार, वर्षों से, (भारत-रूस) सैन्य-तकनीकी क्षेत्र में सहयोग विशुद्ध रूप से खरीदार-विक्रेता संबंध से संयुक्त अनुसंधान, डिजाइन विकास और अत्याधुनिक उत्पादन के लिए विकसित हुआ है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का उत्पादन इसका एक उदाहरण है। दोनों देश पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और बहु-भूमिका परिवहन विमान के संयुक्त डिजाइन और विकास में भी लगे हुए हैं। यहां तक कि भारत अन्य देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, जिसमें Quadrilateral Security Dialogue(जिसे QUAD के रूप में जाना जाता है) शामिल हैै। रूस के साथ जाने से QUAD के संबंधों में खटास आ सकती है।

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