मुंबई: वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) के अध्यक्ष बी.बी. ठोंबरे के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार के 21 फरवरी 2022 के आदेश के अनुसार FRP के संबंध में ऐतिहासिक निर्णय FRP के टुकड़े नहीं बल्कि किसानों को न्याय देने वाला है। ठोंबरे ने कहा, इससे पहले FRP अधिनियम 2010 के अनुसार FRP दर पिछले सीजन की चीनी रिकवरी और गन्ना कटाई लागत पर आधारित थी। दरअसल, FRP तय करते समय जिस मौसम में गन्ने की पेराई होती है, उसी सीजन के गन्ने की रिकवरी और कटाई लागत का विचार करना जरूरी है।
हालांकि, पिछले 12 वर्षों से, FRP प्रक्रिया गलत तरीके से लागू की जा रही थी क्योंकि यह FRP पिछले साल की फसल के रिकवरी के आधार पर इस साल की FRP तय की जाती है। लेकिन चालू सीजन के गन्ना किसानों का पिछले सीजन की चीनी फसल से कोई लेना-देना नहीं होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, WISMA और राज्य चीनी संघ द्वारा राज्य सरकार से उन किसानों की उपज के आधार पर FRP दर तय करने के लिए प्रयास कर रहे थे, जिनका गन्ना उसी मौसम में पेराई के लिए भेजा गया है। इस मांग को राज्य सरकार ने मान लिया है।
प्रावधानों के अनुसार, पुणे और नासिक राजस्व विभागों के लिए बेसिक चीनी रिकवरी 10 प्रतिशत और औरंगाबाद, नागपुर और अमरावती राजस्व विभागों के लिए 9.5 प्रतिशत तय की गई है। वर्तमान सीजन के अंत के बाद आने वाली वास्तविक चीनी रिकवरी को देखकर सीजन के अंत के बाद 15 दिनों के भीतर मूल FRP पर प्रीमियम के रूप में वृद्धिशील FRP का भुगतान किया जाना है।
WISMA ने कहा की महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले से गन्ना किसानों को फायदा होगा।
आपको बात दे, सोमवार को, राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव जारी किया, जिसमें मिलों को दो भागों में मूल FRP का भुगतान करने की अनुमति दी गई। राज्य सरकार ने एक फार्मूला घोषित किया है जहां पहला भुगतान औसत चीनी रिकवरी के आधार पर क्षेत्र का मूल FRP होगा जबकि अंतिम रिकवरी और भुगतान की गणना सीजन के अंत के 15 दिनों के भीतर की जाएगी। अंतिम गणना विभिन्न स्रोतों जैसे गन्ने के रस, बी हेवी या सी हेवी मोलासेस से निर्मित चीनी और एथेनॉल की बिक्री से होने वाली आय पर विचार करेगी।