नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने कहा कि, यूक्रेन संकट के प्रति उसका दृष्टिकोण संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत को बढ़ावा देना है। साथ ही अपने लिए और दुनिया के लिए आर्थिक संकट को कम करने और इन उद्देश्यों के लिए अपने भागीदारों के साथ मिलकर काम करना है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वीकार किया कि संघर्ष के वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण परिणाम हैं।साथ ही, उन्होंने खुलासा किया कि दुनिया भर के देशों में कोविड टीके पहुंचाने के बाद, भारत से कई देशों द्वारा रूस – यूक्रेन संकट के दौरान गेहूं और चीनी की आपूर्ति के लिए संपर्क किया गया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, अन्य सभी देशों की तरह, भारत भी इसके प्रभावों का आकलन कर रहा है और यह तय कर रहें है कि राष्ट्रीय हित के लिए सबसे अच्छा क्या है।
जयशंकर ने विवाद को समाप्त करने के लिए बातचीत और कूटनीति को आगे बढ़ाने के भारत के रुख को दोहराया। भारत इस संघर्ष से उत्पन्न होने वाली आर्थिक कठिनाइयों को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और भागीदार देशों के साथ मिलकर काम करेगा। जहां ध्यान अपनी अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को कम करने पर है, वहीं भारत बहुत कठिन समय से गुजर रहे भागीदारों की भी मदद कर रहा है। उन्होंने कहा, श्रीलंका जैसे पड़ोसी के मामले में हम क्रेडिट पर ईंधन और क्रेडिट पर भोजन की आपूर्ति कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एक और बड़ी चिंता है। कई देशों ने भारत से गेहूं और चीनी की आपूर्ति के लिए संपर्क किया है और हम सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सदन को यह जानकर खुशी होगी कि चाहे बासमती चावल हो, गैर बासमती चावल हो, चीनी हो, गेहूं हो, पिछली तिमाही में हमारे निर्यात में काफी वृद्धि हुई है।