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नयी दिल्ली, 20 फरवरी (PTI) विपणन वर्ष 2018-19 के दौरान 15 फरवरी तक देश का चीनी उत्पादन 8.07 प्रतिशत बढ़कर 219.30 लाख टन पर पहुंच गया। चीनी उद्योग के संगठन इस्मा ने बुधवार को यह जानकारी दी। हालांकि इस बार पूरे विपणन वर्ष के लिये कुल चीनी उत्पादन का अनुमान 307 लाख टन का है। यह पिछले चीनी विपणन वर्ष के 325 लाख टन के उत्पादन से कम है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहा कि चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में दो रुपये की हालिया वृद्धि से चीनी मिलों को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा जिससे उन्हें गन्ना का बकाया भुगतान करने में मदद मिलेगी। इस साल गन्ना का बकाया बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये के पार चला गया है। सरकार ने इसे देखते हुए चीनी मिलों के पास नकदी की उपलब्धता बेहतर करने के लिये न्यूनतम बिक्री मूल्य दो रुपये बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलोग्राम करदिया है।
इस्मा ने कहा कि 15 फरवरी तक चीनी उत्पादन पिछले विपणन वर्ष के 203.50 लाख टन के मुकाबले 219.30 लाख टन रहा है। उसने कहा, ‘‘इस साल अधिक उत्पादन का कारण यह है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी मिलों द्वारा गन्ने की पेराई पहले शुरू कर देना है। कुल मिलाकर इस सत्र में देश का चीनी उत्पादन पिछले सत्र की तुलना में कम रहने काअनुमान है।’’
इस्मा ने कहा कि देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन एक साल पहले इसी अवधि के 74.70 लाख टन से बढ़कर 82.90 लाख टन रहा है। हालांकि दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तरप्रदेश में उत्पादन 64.50 लाखटन से कुछ नीचे 63.90 लाख टन रहा है।
संगठन ने कहा कि प्रति हेक्टेयर गन्ने की उपज कम रहने के कारण इस साल उत्तरप्रदेश में चीनी उत्पादन कम रहने का अनुमान है। तीसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य कर्नाटक में 15 फरवरी तक उत्पादन 30.70 लाख टन से बढ़कर 38.70 लाख टन रहा है। इसी तरह चीनी उत्पादन बढ़कर तमिलनाडु में 3.5 लाख टन तथा गुजरात में 7.78 लाख टन रहा है।
भारत ब्राजील के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। देश में चीनी की सालाना खपत करीब 260 लाख टन है।
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