पानीपत : हरियाणा में कुछ चीनी मिल गन्ने की कमी का सामना कर रही है, जिसका सीधा असर पेराई पर हो रहा है। गन्ने की आवक कम होने से पानीपत की नई सहकारी चीनी मिल आधी क्षमता से चल रही है। 50,000 क्विंटल प्रतिदिन की पेराई क्षमता के मुकाबले मिल में प्रतिदिन केवल 25,000-30,000 क्विंटल गन्ना आ रहा है। अब मिल अधिकारी गन्ने की आवक को मुक्त (बिना पर्ची के) करने की योजना बना रहे हैं ताकि कोई भी किसान मिल में अपना गन्ना ला सके।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को यहां दहर गांव में राज्य की सबसे बड़ी ‘पानीपत सहकारी चीनी मिल’ का उद्घाटन किया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 28 मार्च को पुरानी चीनी मिल को बंद कर दिया गया और पुरानी मिल में करीब 28 लाख क्विंटल गन्ने की पिराई हो चुकी है और नई मिल में अब तक करीब 14 लाख क्विंटल गन्ने की पिराई हो चुकी है। नई चीनी मिल चलाने में देरी के कारण किसानों ने अपनी उपज करनाल और उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों में निजी चीनी मिलों में स्थानांतरित कर दी थी।
ट्रिब्यून इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नई मिल आधी क्षमता से चल रही है, जिससे मिल को भारी नुकसान हो रहा है। 28 मेगावाट की क्षमता होने के बावजूद टर्बाइन केवल 6 मेगावाट पर चल रहा है। चीनी रिकवरी रेट भी कम हो रहा है। अगर टर्बाइन को पूरी क्षमता से नहीं चलाया जा सकता है, तो मिल बिजली की आपूर्ति नहीं कर पाएगी। पानीपत सहकारी चीनी मिल के एमडी नवदीप सिंह ने कहा कि, नुकसान से बचने के लिए हम पेराई सत्र की समाप्ति को 15 मई तक करने की योजना बना रहे हैं। खेतों में केवल 3.5 लाख क्विंटल गन्ना उपलब्ध है, लेकिन यह मिल पर काफी धीमी गति पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि, प्रतिदिन लगभग 40,000 से 50,000 क्विंटल गन्ने की आवश्यकता होती है, लेकिन अब केवल 25,000-30,000 क्विंटल ही आ रहे हैं। हमने किसानों को 75,000 क्विंटल गन्ने की पर्ची बांटी थी और बिना पर्ची के गन्ने की आवक खोलने की योजना भी बना रहे हैं ताकि कोई भी किसान गन्ना ला सके।