केप टाउन : एसोसिएशन ऑफ सदर्न अफ्रीका शुगर इंपोर्टर्स ((Asasi) के अध्यक्ष क्रिस एंगेलब्रेक्ट ने बताया की, दक्षिण अफ्रीका चीनी की गंभीर कमी का सामना कर रहा है, और स्थानीय मिलें स्थानीय मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं। चीनी की कमी दक्षिण अफ्रीकियों के लिए एक और झटका है, जो खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों का सामना कर रहे हैं। यूक्रेन में युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला के संकट से बढ़ गए हैं। एंगेलब्रेक्ट ने कहा कि, चीनी सफेद सोने की तरह हो गई है। सफेद चीनी अब R16 500 प्रति टन (वैट को छोड़कर) पर बिक रही है, जबकि सामान्य कीमत R11 500 प्रति टन (वैट को छोड़कर) है।
एंगेलब्रेक्ट ने कहा कि, पिछले 10 महीनों में मंत्री कार्यालय को तीन बार सूचित किया गया था कि, आनेवाले दिनों में स्थानीय बाजार में चीनी की कमी होगी। सबसे पहले, जुलाई 2021 में जब खबर आई कि विरोध प्रदर्शन के कारण 300,000 टन गन्ना जला दिया गया था। दूसरी बार, दिसंबर 2021 में जब सितंबर में खबर मिली कि इस सीजन में 10 लाख हेक्टेयर गन्ने की पेराई नहीं होगी। तीसरा बार, अप्रैल 2022 में जब सचमुच चीनी नहीं थी। उन्होंने कहा कि, अभी इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि मौजूदा बाढ़ का चीनी की नई फसल पर क्या प्रभाव पड़ेगा, लेकिन फिर भी स्थानीय मिलें मौजूदा मांग की आपूर्ति नहीं कर पाएंगी।उन्होंने कहा, स्थानीय उद्योग का समर्थन करने के लिए आयात रोक दिया गया था और अब चीनी नहीं है। South African Farmers Development Association (Safda) के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सियाबोंगा मदलाला ने भी पुष्टि की कि स्थानीय बाजार में चीनी की आपूर्ति में कमी है।