ढाका : जूट और चीनी उद्योगों को बचाए रखने के लिए बांग्लादेश देश के अर्थशास्त्रियों और मजदूर नेताओं ने आगामी बजट में विशेष आवंटन की मांग की है।उन्होंने दावा किया की, चीनी और जुट उद्योग कुप्रबंधन और निवेश की कमी के कारण जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि, सरकार अस्थायी नुकसान के बावजूद आवश्यक रणनीतिक खाद्य उत्पादों को बनाए रखने के लिए बाजार नियंत्रण और रोजगार पैदा करने के लिए इन दोनों क्षेत्रों में संरक्षण बनाए रखे। ढाका रिपोर्टर्स यूनिटी के नसरुल हामिद सभागार में ‘वित्त वर्ष 2022-23 बजट’ पर देश के बुनियादी उद्योगों की रक्षा के लिए बंद जूट और चीनी मिलों को शुरू करने और विकसित करने के लिए आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने अपनी मांग रखी।
वक्ताओं ने कहा, घाटे से उबरने के लिए सरकार कंपनियों को निजी क्षेत्र के भरोसे छोड़ना चाहती है। लेकिन अभी तक कर्मचारियों को उनका बकाया नहीं मिला है।सरकार ने लगातार घाटे में चल रही छह सरकारी चीनी मिलों को बंद करने का भी ऐलान किया है. इससे पहले सरकार ने कपड़ा क्षेत्र की मिलों को भी निजी क्षेत्र पर छोड़ दिया था। प्रोफेसर अनु मुहम्मद ने कहा कि, जूट क्षेत्र को निजी क्षेत्र के हाथों में छोड़ने से उद्योग का विकास नहीं होगा।
जहांगीरनगर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर अनु मुहम्मद, ढाका विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एमएम आकाश और ढाका विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद तंजीमुद्दीन खान ने कार्यक्रम में अपनी बात रखी, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय जूट मिल श्रमिक और कर्मचारी एकता परिषद संस्थान के संयोजक शाहिदुल इस्लाम ने की। संगोष्ठी में जूट मिलों और चीनी मिलों की सुरक्षा के लिए मजदूर-किसान-छात्र-जन एकता की सात सूत्रीय मांग रखी गई।