पुणे : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को एथेनॉल जैसे वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि और निर्माण उपकरणों में एथेनॉल के इस्तेमाल के प्रयास चल रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा की, हम हर साल बड़ी तादाद में पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करते हैं और अगले पांच साल में हमारी यह मांग बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। उन्होंने कहा, इसका देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए एथेनॉल का उत्पादन पेट्रोलियम आयात को कम करने का सबसे बड़ा विकल्प है। देश में वाहनों की मांग बढ़ रही है, और आनेवाले दिनों मे एथेनॉल, मिथेनॉल, बायो डीजल, बायो एलएनजी, और ग्रीन हायड्रोजन इन वैकल्पिक इंधन की मांग बढनेवाली है। एथेनॉल की मांग बढ़ने से इसका सीधा फायदा चीनी मिलों को होगा।
वसंतदादा शुगर इन्टीट्यूट (पुणे), चीनी आयुक्तालय, महाराष्ट्र राज्य सहकारी साखर कारखाना संघ, वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) आदि के सहयोग राज्यस्तरीय चीनी सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन में गडकरी बोल रहे थे। ‘चीनीमंडी’ इस राज्य स्तरीय चीनी सम्मेलन का मीडिया पार्टनर है और ‘eBuySugar’ स्ट्रीमिंग पार्टनर है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ,उपमुख्यमंत्री अजित पवार, दिलीप वळसे पाटिल, महसूल मंत्री बालासाहेब थोरात, सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल, जयप्रकाश दांडेगावकर, सांसद श्रीनिवास पाटिल, मंत्री सतेज पाटिल, सांसद हेमंत पाटिल, चीनी मिलों के अध्यक्ष, कार्यकारी निदेशक आदि उपस्थित थे।
उन्होंने कहा की चीनी की कीमतें क्रूड आयल पर भी निर्भर रहती है और जब भी यह कम होगा इसका असर चीनी कीमतों पर होता है। दुनिया भर में चीनी की मांग में वृद्धि अस्थायी है। जब कच्चे तेल की कीमत 140 डॉलर प्रति बैरल तक जाती है, तो ब्राजील गन्ने से एथेनॉल का उत्पादन करता है, जिससे भारत से चीनी की मांग बढ़ जाती है। जब कच्चे तेल की कीमत गिरकर 70 डॉलर से 80 डॉलर प्रति बैरल हो जाती है, तो ब्राजील चीनी का उत्पादन शुरू कर देता है। जब कच्चा तेल सस्ता होगा तो चीनी की कीमतों में भी भारी गिरावट आएगी
गडकरी ने कहा की, कई सालों के बाद यह पहला ऐसा साल है जहां चीनी उद्योग को नुकसान नहीं हुआ है। हम सभी चाहते हैं कि हमारा देश आत्मनिर्भर, सुखी, समृद्ध हो और दुनिया की नंबर एक अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया है। अगर इस संकल्प को पूरा करना है तो ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में क्रांति होने की जरूरत है, तब तक देश के सपने को पूरा करने में कई बाधाएं आ सकती हैं।
उन्होंने कहा कि डीजल आधारित कृषि उपकरणों को पेट्रोल आधारित बनाया जाना चाहिए और फ्लेक्स इंजनों को एथेनॉल पर चलने के लिए परिवर्तित किया जा सकता है, उन्होंने कहा कि निर्माण उपकरणों में भी एथेनॉल को शामिल करने के प्रयास जारी हैं।
गडकरी ने कहा, 1948 में हमारे देश की 80% आबादी ग्रामीण थी, और आज वह 65 प्रतिशत है। जो 25 फीसदी पलायन हुआ है, वह मजबूरी की वजह से हुआ है। जब तक किसान समृद्ध नहीं होंगे, देश की प्रगति और विकास में कई कठिनाइयां हैं। यह एक सच्चाई है कि कृषि को सिंचाई की सुविधा प्रदान किए बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते। कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों का सबसे बड़ा आधार चीनी उद्योग है। हमारे देश में 188 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां उत्पादक किसान प्रभावशाली हैं। पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादक क्षेत्र हैं।
उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों ने वसंतदादा चीनी संस्थान के सहयोग से गन्ने की किस्मों में परिवर्तन किया, जिससे उनकी चीनी की उपज साढ़े नौ प्रतिशत से बढ़कर डेढ़ प्रतिशत हो गई। रकबा भी बढ़ा गया है। भविष्य में कृषि में अनुसंधान बहुत महत्वपूर्ण होगा। प्रौद्योगिकी और अनुसंधान दो बहुत महत्वपूर्ण कारक हैं। आपके पास आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
गडकरी ने आगे कहा, इस समय देश में स्थिति यह है कि चीनी और चावल की तरह गेहूं और मक्का भी अतिरिक्त है। पंजाब और हरियाणा में हमारे पास गेहूं और चावल रखने की जगह नहीं है। वर्तमान में, देश में तिलहन की सबसे बड़ी कमी है। वर्तमान में दुनिया में केवल तीन चीजों की चर्चा हो रही है, वह है भोजन, ईंधन और उर्वरक। इंधन और उर्वरक का उत्तर खाद्य उद्योग में है। अगर कृषि क्षेत्र का विकास होगा, चीनी उद्योग का विकास होगा तभी नई नौकरियां पैदा होंगी, और किसान समृद्ध होंगे।