लाहौर: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जानकारों ने सोमवार को सरकार को सुझाव दिया कि, अगले सीजन में गन्ने के उत्पादन में कमी की आशंकाओं के बीच एक मिलियन टन चीनी के रणनीतिक भंडार को बनाए रखे। इस रणनीतिक भंडार के लिए वित्त वर्ष 2023 के बजट में विशेष धनराशि अलग रखी जाए। चीनी उद्योग को एक मिलियन टन के निर्यात की अनुमति देने के बजाय, सरकार को 2021-22 के पेराई सत्र के दौरान अधिशेष उत्पादन से रणनीतिक भंडार के तौर पर 1 मिलियन टन चीनी को खरीदना चाहिए। इस धारणा के पीछे प्रमुख कारण अक्टूबर 2022 से शुरू होने वाले अगले सीजन में फसल का कम उत्पादन बताया जा रहा है। इस वर्ष गन्ने की फसल कम क्षेत्र में बोई गई है, साथ ही बड़े पैमाने पर नहर के पानी की कमी है। बारिश और रिकॉर्ड हीटवेव की वजह से इस पानी की खपत वाली गन्ना फसल के उत्पादन में बुरी तरह से कमी आने की संभावना है।
2021-22 के पेराई सत्र के दौरान अपेक्षाकृत बड़े आकार के चीनी निर्माण के बावजूद, कुछ रूढ़िवादी अनुमान इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि चालू सीजन में चीनी की मांग मुश्किल से ही पूरी हो सकती है। उन्होंने दावा किया कि संघीय सरकार द्वारा शुरू किए गए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम की शुरुआत के कारण हर साल 1.2-14 मिलियन टन चीनी की बिक्री का हिसाब चल रहा है। इसलिए, चीनी निर्माण के उच्च आंकड़ों का अनिवार्य रूप से विपणन वर्ष 2021-22 के दौरान उपलब्ध चीनी का बड़ा स्टॉक नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है कि, 202-23 सीज़न में गन्ने का रकबा लगभग 13 प्रतिशत और उत्पादन 18 प्रतिशत घटने संभावना केे चलते सरकार को किसी भी हाल में चीनी के निर्यात की अनुमति नहीं देनी चाहिए।