नई दिल्ली : Indian state fuel retailers द्वारा निर्माताओं को लिखे एक पत्र के अनुसार, जैव ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उच्च ऊर्जा लागत की भरपाई के लिए चीनी मिलों और एथेनॉल के अन्य उत्पादकों को मुआवजा देने पर सहमति व्यक्त की है। भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, और भारत ने 2025-26 से देश भर में पेट्रोल के साथ एथेनॉल सम्मिश्रण को मौजूदा 10% से 20% तक दोगुना करने के प्रयासों में तेजी लाई है।
भारत सरकार हर विपणन वर्ष इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम कॉर्प और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प (Indian Oil Corp, Bharat Petroleum Corp and Hindustan Petroleum Corp) के लिए एथेनॉल खरीद मूल्य तय करती है। हालांकि, ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने घोषणा की है कि वे उच्च ऊर्जा और बिजली लागत की भरपाई के लिए एथेनॉल निर्माताओं को अतिरिक्त भुगतान करेंगे।
तीन राज्य ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने 1 जून से 30 नवंबर तक ‘राहत योजना’ (relief scheme) की घोषणा की है। गन्ने के रस से उत्पादित एथेनॉल के लिए कंपनियां 1,604 रुपये प्रति किलोलीटर और बी-हैवी मोलासेस के लिए 1,493 रुपये और सी-हैवी मोलासेस से उत्पादित इथेनॉल के लिए 1,179 रुपये का भुगतान करेंगी। क्षतिग्रस्त खाद्यान्न और चावल से उत्पादित एक किलोलीटर इथेनॉल के लिए 2,337 रुपये और 1,437 रुपये की राहत तय की गई है।