चीनी मिलों को कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेना बंद कर देना चाहिए: विद्याधर अनास्कर

पुणे : महाराष्ट्र स्टेट को-ऑप बैंक लिमिटेड के प्रशासक विद्याधर अनास्कर ने कहा की, चीनी मिलों को सामाजिक, राजनीतिक के साथ-साथ व्यावसायिक उद्देश्यों को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। चीनी मिलें चलाने के लिए सख्त वित्तीय योजना और अनुशासन जरूरी है। चीनी मिलों का ग्रॉस प्रॉफिट टू कैपिटल एम्प्लॉयड 8.4 प्रतिशत है,और इतने कम मार्जिन पर बिजनेस करने के लिए काफी अनुशासन की जरूरत होती है। इसके लिए फाइनेंशियल प्लानिंग बहुत आवश्यक होता है। उन्होंने कहा, चीनी मिलों के लिए दूसरी सबसे जरूरी चीज बैंक चुनना है। ऐसे बैंक का चयन करना उचित है जहां चीनी मिल की सभी बैंकिंग जरूरतें पूरी हों, और ब्याज दरें भी कम होनी चाहिए। अक्सर ऐसा बैंक चुनना मुश्किल हो सकता है जो आपको उतना ही कर्ज देता हो, जितने की आपको जरूरत हैं।

अनास्कर ने कहा की, कई बैंक अब रेटिंग के हिसाब से कर्ज देती हैं। महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक भी रेटिंग के हिसाब से कर्ज देता है। बैंक का यह रेटिंग, चीनी मिलों की पेराई क्षमता, बैंक के पिछले लेनदेन पर आधारित होता है। रेटिंग जितनी अधिक होगी, ब्याज उतना ही कम होगा और इससे मिलों को फायदा होता है। उन्होंने कहा, चीनी मिलों को नकद लेनदेन पूरी तरह बंद कर देना चाहिए। किसानों, श्रमिकों या किसी अन्य ऋण का भुगतान नकद के बजाय चेक या ऑनलाइन किया जाना चाहिए। चीनी मिलों को जब चाहें और जहां चाहें ऋण प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। चीनी मिलों को कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेना बंद कर देना चाहिए। नतीजतन, फैक्ट्रियां कर्ज के जाल में फंस जाती हैं। चीनी मिलों को अपने उत्पादों के माध्यम से ऋण चुकाने की आवश्यकता है।

वसंतदादा शुगर इंस्टिट्यूट (पुणे), चीनी आयुक्तालय, महाराष्ट्र राज्य सहकारी साखर कारखाना संघ, वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) आदि के सहयोग राज्यस्तरीय चीनी सम्मेलन का आयोजन किया गया है।इस सम्मेलन में अनास्कर ने ‘चीनी उद्योग में आर्थिक अनुशासन’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। इस राज्य स्तरीय चीनी सम्मेलन का मीडिया पार्टनर है और ‘ई बाय शुगर’ स्ट्रीमिंग पार्टनर है।

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