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पुणे: चीनी मंडी
केंद्र सरकार ने चीनी की न्यूनतम समर्थन मूल्य में की हुई वृद्धि, चीनी आयुक्त द्वारा एफआरपी भुगतान को लेकर चीनी मिलों पर कार्रवाई के कारण महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने 12,949 करोड़ 28 लाख रुपये एफआरपी बकाया भुगतान किया है। इसमें से जनवरी और फरवरी में आठ हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। हालाँकि, अभी भी ४४६७ करोड़ ९७ लाख बकाया हैं।
शुगर केन कंट्रोल एक्ट के तहत 14 दिनों के भीतर गन्ना किसानों का भगतान करना अनिवार्य है, अन्यथा मिलों को यह राशि 15% ब्याज के साथ चुकानी पड़ती है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट के चलते मिलों के सामने अपर्याप्त दूरी (शोर्ट मार्जिन) की समस्या पैदा हुई थी। पहले पूर्व चीनी एमएसपी प्रति क्विंटल 2900 रूपये थी। उसपर मिलों को बैंकों से 90 प्रतिशत ऋण मिलता था। केंद्र सरकार ने सरकार १० प्रतिशत रिकवरी के लिए 2750 एफआरपी की घोषणा की है। अगले हर प्रतिशत के लिए 275 रुपये की घोषणा की थी । महाराष्ट्र में औसत चीनी रिकवरी 11 फीसदी है। उसके लिए किसानों को प्रति टन 3 हजार रूपये एफआरपी लागू होती है।
इस सीजन में 193 चीनी मिलों ने क्रशिंग सीझन में हिस्सा लिया। इन मिलों ने एक मार्च के अंत तक 837.72 लाख टन गन्ने की पेराई की और 9.55 लाख टन चीनी का उत्पादन किया। किसानों को 15 फरवरी तक के क्रशिंग के लिए 12,949 करोड़ 28 लाख रुपये की राशि दी गई है। इसमें से जनवरी और फरवरी में आठ हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। हालाँकि, अभी भी ४८६४ करोड़ ९७ लाख रूपये बकाया भुगतान बाकि हैं। गन्ना नियंत्रण अधिनियम के अनुसार, किसानों को 14 दिनों के भीतर एफआरपी राशि का भुगतान करना अनिवार्य है, अन्यथा मिल को यह राशि 15% ब्याज के साथ चुकानी पड़ती है। राज्य में लगभग 65 मिलों ने 80 प्रतिशत से अधिक एफआरपी राशी का भुगतान किया है। 73 मिलों ने 60 प्रतिशत एफआरपी की रकम किसानों के खाते में जमा की है।
28 फरवरी तक एफआरपी की स्थिती…
100 प्रतिशत भुगतान : 23 मिलें
80 – 99 प्रतिशत भुगतान : 42 मिलें
60 – 79 प्रतिशत भुगतान : 55 मिलें
40 -59 प्रतिशत भुगतान : 44 मिलें
39 प्रतिशत से कम : 22 मिलें
0 एफआरपी भुगतान : 7
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