नई दिल्ली : मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार टूटे चावल (broken rice) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है, जिसका उपयोग फ़ीड के साथ-साथ मानव उपभोग के लिए भी किया जाता है। पिछले कुछ महीनों में टूटे चावल की घरेलू कीमतें लगभग 3 रुपये प्रति किलो बढ़कर 25 रुपये प्रति किलो हो गई हैं। टूटे हुए चावल का उपयोग ज्यादातर पोल्ट्री उद्योग द्वारा और साथ ही एथेनॉल के उत्पादन के लिए फ़ीड के रूप में किया जाता है।
टूटे हुए चावल को ज्यादातर चीन को निर्यात किया जाता है, जो इसे पशुओं के चारे के रूप में उपयोग करता है, जबकि सेनेगल जैसे अफ्रीकी देश भोजन के लिए आयात करते हैं।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वी कृष्ण राव ने फाइनेंसियल एक्सप्रेस को बताया की हम एकमुश्त प्रतिबंध लगाने के बजाय टूटे हुए चावल के शिपमेंट पर 10-15% का निर्यात कर पसंद करते हैं। भारत पिछले एक दशक में दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक के रूप में उभरा हैै।