विभिन्न गन्ना आधारित कच्चे माल से प्राप्त एथेनॉल के लिए केंद्र सरकार 2 से 3 रूपये प्रति लीटर बढ़ा सकती है

नई दिल्ली: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने, ईंधन पर आयात निर्भरता कम करने, विदेशी मुद्रा बचाने, पर्यावरण संबंधी मुद्दों का समाधान करने और घरेलू कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को लगातार बढ़ावा दे रहा है। एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम एक बड़े बदलाव के रूप में आया है और इस बदलाव से चीनी उद्योग को खुश किया है, क्योंकि इस पहल में उनका प्रमुख योगदान है।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, केंद्र सरकार आगामी चीनी सीजन 2022-23 के लिए 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 के दौरान EBP कार्यक्रम के तहत विभिन्न गन्ना आधारित कच्चे माल से प्राप्त एथेनॉल के लिए ₹ 2 से 3 / लीटर बढ़ाने की संभावना है। सरकारी तेल विपणन कंपनियों द्वारा एथेनॉल की कुल मांग को 550 करोड़ लीटर तक ले जाने के लिए सम्मिश्रण प्रतिशत भी 12% तक बढ़ने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार 2025 तक सम्मिश्रण लक्ष्य को 20% तक ले जाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।

सरकार द्वारा की गई सभी पहलों के साथ देश ने 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित समय से 5 महीने पहले हासिल किया है, जिससे 41,500 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत हुई है। भारत अब 2025 तक 10 से 12 बिलियन लीटर एथेनॉल का उत्पादन करने की सोच रहा है। ईंधन ग्रेड एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए, भारत सरकार आसवनियों को भी एफसीआई के पास उपलब्ध मक्का और चावल से एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मौजूदा स्थापित एथेनॉल डिस्टलरी लगभग 700 करोड़ लीटर तक पहुंच गई हैं और 2025-26 तक 20 प्रतिशत मिश्रण के लिए 1,200 करोड़ लीटर से अधिक तक पहुंचने की संभावना है।

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