मुंबई: महाराष्ट्र में गन्ना किसानों ने चीनी के डायवर्जन से बने एथेनॉल से होने वाली कमाई में हिस्सेदारी की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने कहा है कि गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 10.25 प्रतिशत की रिकवरी के आधार पर बढ़ाकर 3,250 रुपये प्रति टन किया जाना चाहिए। इस कीमत में गन्ने की कटाई और परिवहन (एच एंड टी) लागत शामिल नहीं होनी चाहिए।
गन्ना तौल में धोखाधड़ी के कारण किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए, सभी चीनी मिलों और खरीद केंद्रों को इंटरनेट के माध्यम से एक केंद्रीय प्रणाली द्वारा नियंत्रित करने की आवश्यकता है। स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस को दिए इंटरव्यू में ये बातें कही है।
आपको बता दे, इन मांगों को लेकर संगठन ने 7 नवंबर को पुणे में चीनी आयुक्त कार्यालय में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें हजारों गन्ना किसानों ने भाग लिया। राजू शेट्टी ने कहा, हमने इस संबंध में अपनी मांग चीनी आयुक्त को सौंप दी है।
हालही में शेट्टी ने कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष विजय पाल शर्मा से गन्ने की एफआरपी बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा था की केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों को एफआरपी के अनुसार दर का भुगतान करने का रणनीतिक निर्णय लिया है। जिस समय सरकार ने यह निर्णय लिया, उस समय गन्ना उपोत्पाद एथेनॉल के उत्पादन की कोई नीति नहीं थी। एफआरपी नीति तय करते समय एथेनॉल उत्पादन पर विचार नहीं करने से गन्ना किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।