चंडीगढ़ : अप्रैल में पिछले कटाई के मौसम के दौरान शुरुआती गर्मी की लहर के बाद गेहूं की उपज में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आई थी, जिसके कारण पंजाब के किसान अब धान की कटाई के बाद जल्द से जल्द गेहूं की बुवाई करने की जल्दी में हैं। कृषि विभाग के मुताबिक, गुरुवार तक राज्य में गेहूं की 45 फीसदी बुआई हो चुकी है, जबकि कुछ जिलों में यह 75 फीसदी है। पिछले साल पंजाब ने इसी अवधि के दौरान 30 फीसदी क्षेत्र में भी गेहूं की बुवाई पूरी नहीं की थी। पंजाब में लगभग 35 लाख हेक्टेयर (86.45 लाख एकड़) को गेहूं की फसल के तहत लाया गया है और इस बार राज्य सरकार रबी तिलहनी फसलों के तहत क्षेत्र बढ़ाने पर भी ध्यान दे रही है, जिससे गेहूं का क्षेत्र कम हो सकता है।गेहूं की बुवाई का आदर्श समय 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच है। अतीत में यह 20-25 नवंबर से भी आगे निकल गया है।
इस वर्ष कई किसानों ने अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में गेहूं की बुवाई की थी। अब तक गेहूं की लगभग 45 प्रतिशत और रबी तिलहन की 72 प्रतिशत बुवाई पूरी हो चुकी है। पटियाला ने 9 नवंबर तक गेहूं की बुवाई का 75 प्रतिशत पूरा कर लिया है, इसके बाद फतेहगढ़ साहिब (70%) और कपूरथला (69%) का स्थान है।रूपनगर (68%), अमृतसर (67%), नवांशहर (65%), संगरूर (63%) और मोहाली (60%) सहित कई अन्य जिलों ने भी 60% से अधिक बुवाई पूरी कर ली है। इसके अलावा, गुरदासपुर, लुधियाना और मनसा ने भी क्रमशः 55%, 48% और 42% बुवाई पूरी कर ली है। फिरोजपुर, बठिंडा और पठानकोट में यह आंकड़ा 35-35 फीसदी है। जालंधर ने अपने 32 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई पूरी कर ली है, जबकि बरनाला, होशियारपुर, तरनतारन और मोगा जिलों में यह 30 प्रतिशत थी। मुक्तसर साहिब और फरीदकोट में 20-20 फीसदी बुआई हुई है, जबकि फाजिल्का 15 फीसदी के साथ सबसे नीचे है।