मजदूरों की कमी से निपटने के लिए किसानों का मशीनों की ओर रुख

मैसूर : गन्ने की कटाई करना कमरतोड़ काम है, और उसके लिए कई मजदूरों की आवश्यकता भी होती है। कटाई के लिए मजदूरों की सेवा लेना न केवल एक महंगा है, बल्कि सीजन के दौरान काम के लिए पर्याप्त लोगों को ढूंढना भी आसान नहीं होता। इसके चलते मैसूरु और चामराजनगर के किसान अब गन्ना काटने के लिए मशीनों की ओर रुख कर रहे हैं। इससे पहले मैसूरु और चामराजनगर में गन्ना किसानों को पेराई सीजन के दौरान मजदूरों को खोजने के लिए संघर्ष करन पड़ता था, लेकिन अब केन कटर मशीनें समय बचाने के साथ साथ श्रम पर खर्च की गई लागत भी कम करती हैं। केन कटर के माध्यम से काटा गया गन्ना किसानों को चीनी मिलों में अपनी फसल की पेराई के लिए लंबी कतारों में इंतजार करने की परेशानी से भी बचाता है। मशीन का उपयोग गन्ने के पत्तों की कटाई के लिए भी किया जा सकता है, जिसे बाद में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

मैसूर और चामराजनगर जिलों में, लगभग 17,000 किसान गन्ने की खेती में लगे हुए हैं, और 33,117 एकड़ गन्ने की फसल हैं। किसान अपनी फसल को नंजनगुड में बन्नारी अम्मान शुगर लिमिटेड जैसी स्थानीय इकाईयों में आपूर्ति करते हैं। स्थानीय चीनी मिलें बल्लारी, विजयपुरा, रायचुरू और उत्तरी कर्नाटक के अन्य जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों के मजदूरों को काम पर रख रही हैं, जिन्हें वे मैसूर और चामराजनगर जिलों में खेतों पर तैनात करती हैं। स्थानीय चीनी मिलों ने पड़ोसी तमिलनाडु से कटाई मशीनों को किराए पर लिया है, उन्हें उन गांवों में तैनात किया है जहां कम से कम 40 एकड़ में गन्ने की खेती की जाती है।

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