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चंडीगढ़, 26 मार्च (UNI) पंजाब में गन्ना किसानों के बकाया का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है तथा आज शिरोमणि अकाली दल (शिअद) व आम आदमी पार्टी (आप) ने कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को घेरने की कोशिश की और शिअद ने जहां सरकार पर किसानों से बकाया का भुगतान करने का वायदा कर मुकरने का आरोप लगाया वहीं आप ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने की आलोचना की।
यहां जारी बयान में शिअद की किसान शाखा के अध्यक्ष सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को अपने वायदे से मुकरना शोभा नहीं देता और किसानों के बकाया का भुगतान 20 फीसदी ब्याज के साथ किया जाना चाहिए क्योंकि किसानों को कर्ज 24 फीसदी ब्याज पर लेना पड़ता है।
श्री मलूका ने आरोप लगाया कि 2017-18 पेराई सीजन के बकाया का भुगतान नहीं किया गया है। श्री मलूका ने कहा कि आठ सहकारी शक्कर कारखानों पर 400 करोड़ बकाया हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने सात निजी मिलों का भुगतान नहीं किया जिन पर किसानों के 950 करोड़ रुपये बाकी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की तरफ से गन्ने की कीमत भी हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के मुकाबले कम दी जाती है। उस पर भुगतान में देरी से स्थिति और विकट हो जाती है।
उन्होंने कहा कि किसानों की कर्ज माफी के वायदे पर भी कैप्टन सरकार मुकर चुकी है तथा आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को दस लाख रुपये के मुआवजे व किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी के वायदे से भी।
उधर आप की तरफ से विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने बयान जारी कर धूरी के एसडीएम की तरफ से क्षेत्र में रोष प्रदर्शन कर रहे किसानों को नोटिस भेजने की कार्रवाई की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह तानाशाही कार्रवाई है और ऐसा कर सरकार किसानों के बोलने की आजादी पर रोक लगाने का कार्य कर रही है।
श्री चीमा ने आरोप लगाया कि निजी शक्कर मिल मालिकों को बचा कर सरकार किसानों और खेत मजदूरों के साथ धोखा कर रही है। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार भी पिछली बादल सरकार की तरह किसान और अन्य वर्गों की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम साबित हुई है।
श्री चीमा ने आरोप लगाया कि राज्य की शक्कर मिलों पर कांग्रेसी और अकाली-भाजपा नेताओं का कब्जा होने के कारण किसानों को उनकी अदायगी होने में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन भी शक्तिशाली नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने से बचते नजर आ रहे हैं।
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