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लखनऊ: चीनी मंडी
केंद्र और राज्य सरकार से अधिशेष चीनी से निपटने के लिए हर मुमकिन कोशिश के बावजूद चीनी मिलें गन्ना बकाया भुगतान करने में नाकाम रही है। जिससे किसानों में काफी आक्रोश है, किसान संघठन जगह जगह आन्दोलन कर रही है। इन सारी समस्याओं से निपटने के लिए चीनी मिलों को अब केंद्र सरकार ने भी सॉफ्ट लोन की डोज दे दी है। चुनाव में गन्ना मुद्दे के गरमाए जाने से आशंकित केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है।
उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के आधार पर देय गन्ना मूल्य का 25 फीसदी भुगतान करने वाली मिलों को मामूली ब्याज दर पर सॉफ्ट लोन दिया जाएगा। रियायती लोन होने के चलते मेरठ मंडल की 16 चीनी मिलों में से 13 मिलों ने शर्त को पूरा करते हुए लोन के लिए आवेदन कर दिया है। बैंक से लोन मिलने के बाद ये चीनी मिलें बकाया भुगतान करने लगेंगी।
उत्तर प्रदेश में किसानों का बकाया गन्ना भुगतान बढ़ता जा रहा है। चीनी उद्योग पर चालू पेराई सत्र 2018-19 का 11 हजार करोड़ से ज्यादा बकाया हो चुका है। इसमें मेरठ मंडल की चीनी मिलों पर 2100 करोड़ रुपये बकाया है। यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन ने गन्ना रेट ज्यादा होने और चीनी के दाम कम होने पर घाटा होने का रोना रोकर सरकार से मदद मांगी थी। इस पर राज्य सरकार ने जहां मिलों को 5000 करोड़ रुपये का सॉफ्टलोन दिया था तो वहीं केंद्र सरकार ने भी चीनी के न्यूनतम बिक्री दाम 29 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 31 रुपये किया।
केंद्र सरकार की सॉफ्ट लोन योजना का लाभ उन्हीं चीनी मिलों को मिलेगा जो 26 मार्च तक देय बकाये का 25 फीसदी भुगतान कर दिया है। ऐसी मिलों को आवेदन के बाद पांच साल के लिए पांच फीसदी दर पर सॉफ्ट लोन जारी कर दिया जाएगा। मंडल की 16 शुगर मिलों में से केवल सिंभावली, बृजनाथपुर और मोदीनगर शुगर मिल ही ऐसी हैं जो शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही है।
मेरठ मंडल की मिलों पर चालू पेराई सत्र का 2100 करोड़ रुपये बकाया हो चुका है। मोदीनगर, सिंभावली और बुलंदशहर मिल ने तो भुगतान शुरू ही नहीं किया है। दौराला शुगर मिल ही चालू सत्र का 85 फीसदी भुगतान करके अव्वल नंबर बनी हुई है। किनौनी मिल ने 9 फीसदी, बुलंदशहर मिल ने 6 फीसदी, नंगलामल मिल ने 26 फीसदी, रमाला मिल ने 35 फीसदी और अनूपशहर मिल ने 33 फीसदी ही भुगतान किया है।
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