पुणे : महाराष्ट्र में निजी एवं सहकारी दोनों ही क्षेत्रों में चीनी मिलों द्वारा एथेनॉल उत्पादन की प्रगति प्रशंसनीय है। चीनी मिलों को इस साल लगभग 12 हजार करोड़ रुपए सिर्फ एथेनॉल से ही आएंगे। चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा कि, ये घटनाक्रम चीनी उद्योग के लिए बहुत उत्साहजनक हैं और हमारा राज्य धीरे-धीरे एथेनॉल उत्पादन में महाराष्ट्र का ‘ब्राजील पैटर्न’ की ओर बढ़ रहा है। अग्रोवन को दिए इंटरव्यू में गायकवाड ने महाराष्ट्र का चीनी उद्योग, एथेनॉल उत्पादन और राजस्व इस पर अपनी राय साझा की…
उन्होंने कहा, पिछले सीजन में चीनी उद्योग ने शानदार प्रदर्शन किया था। इसका सारा श्रेय चीनी मिलें, मिल के श्रमिकों, गन्ना मजदूरों, ट्रांसपोर्टरों और निश्चित रूप से मेहनती किसानों को दिया जाना है। एथेनॉल के मामले में सहकारी और निजी मिलें भी तेजी से तरक्की कर रहे हैं। हर महीने कहीं न कहीं कोई नया प्रोजेक्ट आ रहा है। पिछले सीजन में मिलों ने एथेनॉल से 9500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त कमाई की है। मिलों की इस दौड़ को देखें तो इस साल एथेनॉल से करीब 12 हजार करोड़ राजस्व मिलने की उम्मीद है।
गायकवाड ने कहा, मेरा मानना है कि इस क्षेत्र से चीनी उद्योग को हर साल अतिरिक्त 2-3 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। अतः कहा जा सकता है कि हमारा राज्य धीरे-धीरे ‘ब्राजील पैटर्न’ की ओर बढ़ रहा है। ब्राजील में मिलें वैश्विक बाजार की स्थिति के आधार पर तय करते हैं कि अधिक चीनी या एथेनॉल का उत्पादन करना है। इसे ही दुनिया ब्राजील पैटर्न कहती है। ब्राजील की तरह महाराष्ट्र भी भविष्य में कुछ मौसमों के बाद यह क्षमता हासिल कर लेगा। अब भी प्रदेश की चीनी मिलों को जरूरत से ज्यादा चीनी या एथेनॉल बनाने की आजादी है।