गिलगित-बाल्टिस्तान : गिलगित-बाल्टिस्तान के कब्जे वाला क्षेत्र भुखमरी का सामना कर रहा है और साथ ही गेहूं के आटे और बिजली की भारी कमी के चपेट में है।पिछले कुछ दिनों से लोग अपनी मांगों के प्रति पीटीआई सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ विरोध और रैली करते देखे जा रहे हैं, जिसमें गेहूं/गेहूं के आटे की आपूर्ति, लोडशेडिंग का अंत और जमीन हड़पना बंद करना शामिल है। पीड़ित लोगों ने शिकायत की की, पीटीआई से जुड़े मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक अपना अधिकांश समय इस्लामाबाद और लाहौर में विलासिता और फिजूलखर्ची में बिताते हैं, इसके अलावा अपने आका इमरान खान की सेवा करते है।
स्थानीय समाचार पत्रों में कहा गया है कि, वर्तमान समय में लोड शेडिंग ने स्थिति को और खराब कर दिया है, स्थानीय व्यवसाय और उद्योग लगभग नष्ट हो गया है। पंजाबी नौकरशाहों द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग आम लोगों की परेशानी को बढ़ा रहा है। गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र के लोग सरकार और उसकी ओर से संचालित माफियाओं द्वारा जमीन पर कब्जा करने से भी चिंतित हैं। हड़पी जा रही जमीनों को कथित तौर पर चीनी कंपनियों को लीज पर दिया गया है। युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है और कई लोगों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता शराफत हुसैन किंग ने गिलगित बाल्टिस्तान सरकार को चेतावनी दी कि अगर उसने एक सप्ताह के भीतर गेहूं के आटे और बिजली संकट को समाप्त नहीं किया, तो पार्टी गिलगित में सभी सड़कों और राजमार्गों को जाम कर देगी।