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धर्मकांटा की तौल वाली बुग्गी व ट्राली पर भी 2 से 3 फीसदी घटतौली की पर्ची बनाकर किसानों की जेब काटी जा रही है।
मेरठ: चीनी मंडी
उत्तर प्रदेश में गन्ना अधिकारियों व कर्मचारियों की लोकसभा चुनाव ड्यूटी में लगने से गन्ना सेंटरों की चेकिंग लगभग बंद हो गई है। इसके चलते सेंटरों पर जमकर घटतौली हो रही है। एक अनुमान के तौर पर मंडल के 1200 से ज्यादा गन्ना सेंटरों पर किसानों को रोजना 50 लाख रुपये की चोट पहुंचाई जा रही है। किसानों का कहना है कि सेंटर पर गन्ना तौल से 5 से 6 फीसदी घटतौली हो रही है। वहीं धर्मकांटा की तौल वाली बुग्गी व ट्राली पर भी 2 से 3 फीसदी घटतौली की पर्ची बनाकर किसानों की जेब काटी जा रही है। किसान अब मदद के लिए सरकार से गुहार लगा रहे है ।
प्रदेश की शुगर इंडस्ट्री किसानों से मिल गेट और गांवों में सेंटर बनाकर गन्ना खरीद करती है। मिल गेट पर जहां गन्ने की तौल सही होने की बात कही जाती है, वहीं गांव में बने सेंटरों पर जमकर घटतौली की शिकायत मिलती है। यहां तैनात तौल लिपिक घटतौली करके किसानों का शोषण करते हैं। तौल प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए गन्ना विभाग ने इलेक्ट्रानिक तौल प्रणाली को लागू किया। सेंटरों पर छापामारी भी की जाती है। इसके बावजूद घटतौली का खेल नहीं रुका। मंडल की 16 शुगर मिलों के 1200 से ज्यादा सेंटरों पर पेराई सत्र के पांच महीने में करीब 1800 निरीक्षण ही हो पाए हैं।
मंडल की 16 शुगर मिलों की गन्ना पेराई क्षमता 9 लाख 73 हजार प्रतिदिन है। क्षमता के सापेक्ष औसतन 90 फीसदी गन्ने की खरीद होती है, जो 8 लाख 75 हजार 700 क्विंटल बैठती है। सेंटरों के माध्यम से 70 फीसदी गन्ना खरीद के चलते रोजाना करीब 6 लाख 12 हजार क्विंटल गन्ने की खरीद बैठती है। इसमें औसतन ढाई फीसदी घटतौली के हिसाब से 15 हजार क्विंटल गन्ना चोरी कर लिया जाता है। इसकी कीमत करीब 48 लाख बैठती है।
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