नई दिल्ली: भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग द्वारा उत्सर्जन और सुरक्षा के संबंध में प्रमुख तकनीकी बदलाव पर काम किया जा रहा है। रेटिंग एजेंसी ICRA द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि, ऑटो OEMs को प्रस्तावित एथेनॉल सम्मिश्रण मानदंडों का पालन करने के लिए बड़ी चुनौतियों का सामना करने की संभावना नहीं है। अध्ययन के अनुसार, पेट्रोल घरेलू यात्री वाहन बाजार में पसंदीदा ईंधन बना हुआ है। सीएनजी वाहनों में भी हाल के वर्षों में बढोतरी हुई है, हालांकि देश भर में सीएनजी वितरण स्टेशनों की सुधार की आवश्यकता है।
Icra लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख शमशेर दीवान ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि अगले पांच वर्षों में सीएनजी, ईवी और हाइब्रिड वाहनों का अनुपात नए वाहनों की बिक्री में 20-30% तक बढ़ जाएगा। दीवान ने कहा कि, सीएएफई मानदंडों को पूरा करने के लिए पेट्रोल आधारित वाहनों से उत्सर्जन को कम करना महत्वपूर्ण है। पिछले कई वर्षों में पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण धीरे-धीरे बढ़ रहा है, और भारत ने 2022 में 10% एथेनॉल सम्मिश्रण हासिल किया है। इसके अलावा, भारत सरकार ने 2030 से पहले 2025 तक E20 कार्यान्वयन का लक्ष्य रखा है।