बेंगलुरु : कर्नाटक राज्य रायता संघ (केआरआरएस) से जुड़े किसानों ने रविवार को शहर में राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात की और गन्ने के लिए उच्च राज्य सलाहकार मूल्य (SAP) के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की। किसानों ने 7 नवंबर, 2022 से मंड्या में अपने निरंतर आंदोलन के बारे में राज्यपाल को अवगत कराया और कहा कि उनकी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। केआरआरएस के अध्यक्ष बदागलपुरा नागेंद्र ने कहा कि, केवल मंड्या के किसान ही नहीं बल्कि पूरे राज्य के किसान उच्च एसएपी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने राज्यपाल से इस संबंध में सरकार को सलाह देने की अपील की।केआरआरएस गन्ने के लिए प्रति टन 4500 रुपये के अलावा दूध के लिए 40 रुपये प्रति लीटर की मांग कर रहा है।
नागेंद्र ने कहा कि, खेती की लागत में वृद्धि हुई है और तेलंगाना में गन्ना किसानों को 9 प्रतिशत की रिकवरी के लिए 3,200 रुपये प्रति टन की कीमत मिल रही है और तमिलनाडु में 9.5 प्रतिशत की रिकवरी के लिए यह 3,500 रुपये प्रति टन है। उन्होंने कहा कि, पंजाब में गन्ना किसानों को प्रति टन 3,800 रुपये मिल रहे थे, जबकि गुजरात में यह दर 4,400 रुपये प्रति टन है, जबकि कर्नाटक में एसएपी की घोषणा होनी बाकी है और किसानों को संकट में डाल दिया है।
नागेंद्र ने कहा कि, केंद्र ने गन्ने के लिए उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) की घोषणा 3,050 रुपये प्रति टन की है जो केवल 150 रुपये प्रति टन की वृद्धि थी और किसानों के लिए निराशाजनक फैसला है। नागेंद्र ने कहा कि, यद्यपि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था, यह उत्पादन की लागत है जो दोगुनी हो गई है न कि किसानों की आय।