श्रीकाकुलम: आंध्र प्रदेश के उत्तर तटीय जिलों श्रीकाकुलम, विजयनगरम और पार्वतीपुरम (मण्यम) में गन्ने की खेती को लेकर किसान परेशान है। किसानों की निराशा का मुख्य कारण फसल की खेती, कटाई और परिवहन के लिए बढ़ता निवेश है। गन्ने की फसल की खेती के लिए प्रति एकड़ 15,000 रुपये की राशि की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, गन्ने के पौधों की कटाई और उन्हें चीनी मिलों तक पहुँचाना किसानों के लिए एक अतिरिक्त बोझ है।
पहले, उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश के किसान गन्ने की कटाई के उद्देश्य से पूर्वी गोदावरी जिले में तुनी और उसके आसपास के क्षेत्रों के श्रमिकों को काम पर लगा रहे थे। चूंकि अब तुनी क्षेत्र से कुशल श्रमिकों की कमी है, और किसान इस समस्या से निपटने के लिए स्थानीय श्रमिकों पर निर्भर है। गन्ने की फसल काटने के लिए मजदूरी बढ़ाकर 22,000 रुपये प्रति एकड़ कर दी गई है। गन्ने की उपज को खेत से चीनी मिल के परिसर तक ले जाना भी किसानों पर एक अतिरिक्त बोझ है और इसके लिए किसानों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।
प्रति एकड़ अनुमानित गन्ना उत्पादन औसतन 25 टन है। चीनी मिल तक उपज पहुंचने तक कुल निवेश 44,000 रुपये है। सरकार द्वारा घोषित प्रति टन गन्ने की कीमत औसतन 2,980 रुपये है। यानि किसानों के लिए गन्ने की खेती अब घाटे का सौदा साबित हो रही है। यदि सभी परिस्थितियाँ अनुकूल हों तो एक एकड़ भूमि में गन्ने की फसल की खेती करके एक किसान 59,600 रुपये कमा सकता है। 59,600 रुपये की कुल कमाई में से 44,000 रुपये के निवेश को घटाने के बाद किसान को 15,600 रुपये प्रति एकड़ का लाभ होता है।