कोच्चि : आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट के एर्नाकुलम कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने गुणवत्ता वाले गुड़ का उत्पादन करने के लिए जिले के अलंगड, कुरूमल्लूर और नीरिकोड क्षेत्रों में गन्ने की खेती के लिए एक प्रदर्शन इकाई शुरू की है।केवीके ने एक हेक्टेयर में गुड़ उत्पादन के उद्देश्य से आईसीएआर-गन्ना प्रजनन संस्थान (कोयम्बटूर)द्वारा जारी गन्ने की किस्म CO 86032 लगाई है। केवीके अगले दिसंबर में फसल की कटाई तक अलंगड़ के पास एक गुड़ उत्पादन इकाई स्थापित करने की भी योजना बना रहा है।
आईसीएआर-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईएसआर), लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक दिलीप कुमार पिछले 20 वर्षों से गुड़ पर शोध कर रहे है।उन्होंने खेतों का दौरा किया और किसानों के साथ बातचीत की। उन्होंने गुड़ इकाई की स्थापना के लिए आईसीएआर-आईआईएसआर से प्रौद्योगिकी का आश्वासन दिया। डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि,क्षेत्र में मौजूद गन्ने की खेती को पुनर्जीवित किया जा सकता है और गुड़ को जीआई-टैग किया जा सकता है।
केवीके के प्रमुख शिनोज सुब्रमण्यन ने कहा कि,प्रदर्शन फार्म का प्राथमिक उद्देश्य रासायनिक मुक्त गुणवत्ता वाले गुड़ का उत्पादन करना और पारंपरिक ‘अलंगदान शर्करा’ (अलंगद गुड़) को पुनर्जीवित करने के लिए एक ब्रांडेड मार्केटिंग चैनल स्थापित करना है।रासायनिक रूप से दूषित गुड़ मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रायोगिक पैमाने पर गुड़ इकाई स्थानीय किसानों को फसल को आगे बढ़ाने के लिए विश्वास देगी। गन्ने से कई अन्य मूल्य वर्धित उत्पाद जैसे बोतलबंद जूस, तरल गुड़ और वैक्यूम वाष्पित गुड़ का उत्पादन किया जा सकता है।