नई दिल्ली : तेज हवाओं और ओलावृष्टि के साथ बेमौसम बारिश सोमवार को उत्तर और मध्य भारत के बड़े इलाकों में जारी रही, जिससे गेहूं उत्पादकों की चिंता बढ़ गई, जो अपनी खड़ी फसल काटने वाले थे।पिछले कुछ दिनों में मौसम ने करवट ली है। विशेषज्ञ अभी कुछ दिनों पहले लू के कारण गेहूं की उपज में गिरावट को लेकर चिंतित थे।सोमवार को, कई राज्यों में पारा लगातार बारिश के कारण काफी कम दर्ज किया गया – जिससे सरसों, चना, गन्ना, मौसमी सब्जियों और बागवानी फसलों को भी खतरा बढ़ा है।सरकार ने यह भी कहा कि, ओलावृष्टि से केले और आलू जैसी कुछ बागवानी फसलों पर असर पड़ सकता है।
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगलवार से बारिश कम होगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में बारिश, आंधी और ओलावृष्टि की गतिविधियों में महत्वपूर्ण कमी की भविष्यवाणी की है।लेकिन, एक और मौसम प्रणाली विकसित हो रही है जो 24 मार्च से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी, उत्तरी राजस्थान और दिल्ली में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का एक और दौर शुरू कर सकती है। निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट के मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन विभाग के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया की, बारिश का यह नया दौर 23 मार्च की रात से विकसित होने की उम्मीद है।बारिश और ओलावृष्टि का सबसे ज्यादा असर खड़ी गेहूं की फसलों पर पड़ने की उम्मीद है, खासकर वे जो पक चुकी थीं और कटाई के लिए तैयार थीं।