पुणे: महाराष्ट्र में गन्ने की उपज में भारी गिरावट और सुक्रोज की मात्रा में कमी के कारण 210 पंजीकृत चीनी मिलों में से केवल छह मिलें चालू है। इस सीजन में राज्य में चीनी उत्पादन में गिरावट देखने को मिलेगी, जो अपने एथेनॉल आपूर्ति लक्ष्य को पूरा करने में असमर्थ है। सहकारी और निजी मिलर्स के नए अनुमान बताते है कि, एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (दिसंबर 2022 से नवंबर 2023) के दौरान महाराष्ट्र का योगदान 127 करोड़ लीटर होगा, जो कि उसके 132 करोड़ लीटर के लक्ष्य से कम है।
इसके अलावा, राज्य में 120-22 लाख टन के पिछले अनुमानों के मुकाबले लगभग 105-106 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा। इससे पहले, जुलाई-अगस्त 2022 में, अच्छी बारिश और गन्ने के बढ़ते क्षेत्र से उत्साहित होकर, महाराष्ट्र चीनी आयुक्त कार्यालय ने उत्पादन 138 लाख टन होने का अनुमान लगाया था।हालाँकि, 9 अप्रेल तक, केवल छह मिलें (पुणे, सोलापुर, उस्मानाबाद और बीड में एक-एक और जालना में दो) चालू हैं। राज्य में अब तक मिलों ने 1,051.30 लाख टन गन्ने की पेराई कर 104.88 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है।
पिछले हफ्ते, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, साथ ही पेट्रोलियम के सचिवों की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में, यह पता चला है कि उद्योग ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2022-23 की अंतिम दो-तिमाहियों के लिए एथेनॉल के अनुबंधों को पूरा करने में असमर्थता व्यक्त की है। महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खताळ ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए पुष्टि की कि एथेनॉल उत्पादन में कमी आएगी।
क्या महाराष्ट्र में इस कमी से इस साल ईंधन के लिए 12 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य प्रभावित होगा, इस पर इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने उम्मीद जताई कि लक्ष्य पूरा हो जाएगा क्योंकि कई चीनी मिलों ने अनाज आधारित डिस्टलरी की स्थापना की है।
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