आर.के. सिंह ने राज्यों से संशोधित वितरण क्षेत्र योजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने को कहा

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने आज राज्यों और राज्य बिजली उपयोगिताओं के साथ समीक्षा योजना और निगरानी (आरपीएम) बैठक की अध्यक्षता की। नई दिल्ली में 10 और 11 अप्रैल 2023 को आयोजित होने वाली इस बैठक में विद्युत राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल, सचिव (विद्युत) श्री आलोक कुमार, सचिव (नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय) श्री बी.एस. भल्ला, अपर मुख्य सचिव, राज्यों के सचिव/सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव (विद्युत/ऊर्जा) और राज्य विद्युत उपयोगिताओं के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने भाग लिया।

श्री आर.के. सिंह ने देश के समग्र आर्थिक विकास में व्यवहारिक और आधुनिक विद्युत क्षेत्र के महत्व पर बल दिया। उन्होंने बल देकर कहा कि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए देश के सभी बिजली उपभोक्ताओं को 24 x 7 गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय और सस्ती बिजली की आपूर्ति आवश्यक है। इस बात पर प्रकाश डाला गया कि अधिकांश डिस्कॉम ने अपनी विभिन्न पहलों जैसे संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस), अतिरिक्त विवेकपूर्ण मानदंड और देर से भुगतान अधिभार (एलपीएस) नियम 2022 के अंतर्गत विद्युत मंत्रालय द्वारा निर्धारित सुधार उपायों को लागू करना शुरू कर दिया है। यह सूचित किया गया था कि इस वर्ष बड़ी संख्या में विद्युत नियामक आयोगों ने समय पर शुल्क आदेश जारी किए हैं और ईंधन और बिजली खरीद लागत समायोजन (एफपीपीसीए) को भी लागू किया है। इस बात पर बल दिया गया था कि शुल्क लागत प्रतिबिंबित होना चाहिए और डिस्कॉम के व्यवहारिक होने के लिए नियामक आयोगों द्वारा व्यावहारिक नुकसान में कमी के रास्ते अपनाए जाने चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि जून 2022 में मंत्रालय द्वारा अधिसूचित देर से भुगतान अधिभार नियम 2022 से डिस्कॉम के साथ-साथ जेनको को भी लाभ हुआ है। ऊर्जा मंत्री महोदय ने सही सब्सिडी लेखांकन के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने दोहराया कि देरी से बिलिंग और अपर्याप्त भुगतान की समस्याओं को दूर करने का एकमात्र समाधान स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग है।

बैठक के दौरान, माननीय मंत्री महोदय ने विद्युत वितरण क्षेत्र की योजनाओं के लिए एकीकृत वेब पोर्टल के संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) मॉड्यूल का भी शुभारंभ किया। पोर्टल वितरण क्षेत्र की सभी योजनाओं की निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यह अभिनव मंच संशोधित वितरण क्षेत्र योजना सहित बिजली वितरण योजनाओं के कार्यान्वयन में वास्तविक समय के अपडेट और गहरी पहुँच प्रदान करेगा, जिससे पारदर्शिता और दक्षता को सक्षम किया जा सकेगा। इस अवसर पर माननीय मंत्री महोदय ने विद्युत वितरण उपयोगिताओं की 11वीं एकीकृत रेटिंग – 2022, डिस्कॉम यानी बिजली वितरण कंपनियों की दूसरी उपभोक्ता सेवा रेटिंग – 2022 और राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक – 2022 का भी शुभारंभ किया। 24 डिस्कॉम की एकीकृत रेटिंग में पिछले वर्ष की रेटिंग से सुधार हुआ है। चार डिस्कॉम, अर्थात् मेस्कोम, चेस्कोम और गेस्कोम और आंध्र प्रदेश पूर्वी डिस्कोम ने 3 अंक तक का उल्लेखनीय सुधार कर दिखाया है। इसके अलावा, 8 डिस्कॉम अर्थात। एमएसईडीसीएल, एपीडीसीएल, अजमेर, केएसईबी, एचईएससीओएम, बीईएससीओएम, ओडिशा साउथ और ओडिशा नॉर्थ डिस्कॉम ने अपनी रेटिंग में 2 पायदान का सुधार किया है। इसी प्रकार, 24 डिस्कॉम की उपभोक्ता सेवा रेटिंग में भी पिछले वर्ष की रेटिंग से सुधार हुआ है।

राज्यों में आरडीएसएस के अंतर्गत प्रगति की स्थिति की समीक्षा की गई। इस योजना का उद्देश्य परिचालन दक्षता को बढ़ाना और वितरण क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करना है। मंत्री महोदय ने आरडीएसएस के अंतर्गत पूर्व-योग्यता मानदंड और सब्सिडी और ऊर्जा लेखांकन आदि सहित अन्य प्रमुख तत्वों के संबंध में डिस्कॉम के प्रदर्शन की भी समीक्षा की। राज्यों को योजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने की सलाह दी गई है। राज्यों को आगे यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने के बाद पाए गए अधिक लोड के लिए किसी भी उपभोक्ता पर कोई जुर्माना न लगाया जाए और चरणबद्ध तरीके से पिछले बकाया (यदि कोई हो) की वसूली के साथ-साथ वास्तविक लोड के आधार पर बिलिंग की जाए।

मंत्री महोदय ने बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन क्षमता की उपलब्धता के संदर्भ में संसाधन पर्याप्तता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कम अवधि के दौरान योजनाबद्ध रखरखाव करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि देश में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बिजली उत्पादन में निवेश जरूरी है। उन्होंने क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए बिजली क्षेत्र में व्यवहारिकता के महत्व को दोहराया।

राज्य/केंद्र सरकार, उपयोगिताओं और उद्योग सहित सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास से देश में आर्थिक रूप से व्यवहारिक और पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी विद्युत क्षेत्र की दिशा में निर्बाध परिवर्तन सुनिश्चित होगा।

(Source: PIB)

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