कानपुर: राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSI, कानपुर) ने मक्का से एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान और विकास कार्य करने के लिए ICAR-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (लुधियाना) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर सोमवार को लुधियाना में प्रोफेसर नरेंद्र मोहन, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर और एचएस जाट, निदेशक, आईसीएआर-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
समझौता ज्ञापन आईसीएआर-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान द्वारा विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मक्का के नए संकरों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा और राष्ट्रीय चीनी संस्थान द्वारा अपनी नैनो एथेनॉल इकाई में उनकी एथेनॉल उत्पादन क्षमता का मूल्यांकन किया जायेगा। इस अवसर पर दोनों निदेशकों ने कहा, हमें उम्मीद है कि समझौता ज्ञापन मक्का किसानों की आय बढ़ाने और मक्का आधारित एथेनॉल के उत्पादन की लागत को कम करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।
वर्ष 2025 तक एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मक्का महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। लगभग 7000 मिलियन लीटर अलकोहल का उत्पादन अनाज, चावल और मक्का से किया जाना है। प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने कहा कि, किसानों और उद्योग के लिए हमें मक्का आधारित अल्कोहल के लिए एक स्व-टिकाऊ जैव-रिफाइनरी मॉडल विकसित करने पर जोर देने के साथ मिल से उत्पादकता बढ़ाने पर काम करना होगा। देश में मक्का की कृषि उत्पादकता लगभग 2.7-2.9 टन/हेक्टेयर कम है और विश्व के औसत का लगभग आधा है। जबकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्यों में उत्पादकता काफी हद तक भिन्न है। भाकृअनुप-इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मिल्लेट्स रिसर्च के निदेशक डॉ एचएस जाट ने कहा कि, विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त मक्का के नए संकर विकसित करके इस मुद्दे को हल करने का प्रयास किया जाएगा।