कम्पाला: किन्यारा शुगर वर्क्स (Kinyara Sugar Works) ने कहा कि, चीनी प्लांट शुरू करने के एक साल बाद औद्योगिक चीनी की अपेक्षा से कम मांग के कारण औद्योगिक चीनी का बड़ा स्टॉक गोडाउन में पड़ा है। किन्यारा शुगर के प्रबंध निदेशक रामलिंगम रवि ने बताया की, हमारे पास चीनी का बड़ा स्टॉक है, लेकिन कोई खरीदार नहीं है। उन्होंने कहा कि, उम्मीद से कम मांग के बावजूद किन्यारा अपनी उत्पादन क्षमता 60,000 टन से बढ़ाकर 75,000 टन कर रही है।
युगांडा शुगर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के डाटा से संकेत मिलता है कि, जीएम चीनी भी 13,000 मीट्रिक टन का उत्पादन कर रही है, जबकि मेयूज शुगर के 30,000 टन बढ़ने की उम्मीद है।
हालांकि, कुछ खरीददारों ने उच्च कीमतों, गुणवत्ता और मात्रा में असंगति का हवाला दिया है, क्योंकि कुछ कारणों ने उन्हें आयात पर निर्भर रहने के लिए मजबूर किया है। क्राउन बेवरेजेज के मुख्य कार्यकारी पैडी मुलामिराह ने एक साक्षात्कार में कहा, औद्योगिक चीनी की मांग पिछले साल 130,000 टन तक पहुंच गई थी, लेकिन खरीदार के लिए केवल 35,000 टन उपलब्ध थी। हालांकि, युगांडा शुगर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के महासचिव विल्बरफोर्स मुबीरू ने गुणवत्ता पर उठाई गये सवालों के जवाब में कहा कि, युगांडा के सफेद चीनी निर्माता अपनी मशीनों को उन्हीं स्रोतों से प्राप्त करते हैं, जहां से अन्य चीनी मिलों ने मशीन खरीदी है। साथ ही उन्होंने कहा, गन्ने की उच्च लागत का भी बिक्री पर परिणाम हो रहा है।
ईस्ट अफ्रीकन बिजनेस काउंसिल के वाइस चेयरमैन साइमन काहेरू ने एक साक्षात्कार में कहा कि, उन्होंने खरीददारों, उत्पादकों और औद्योगिक चीनी के संभावित उत्पादकों के साथ-साथ सरकार के साथ चिंताओं को दूर करने के लिए विचार-विमर्श किया था। युगांडा औद्योगिक चीनी का उत्पादन करने वाला क्षेत्र का एकमात्र देश है।पिछले साल तक व्यापार मंत्रालय ने रिफाइंड औद्योगिक चीनी के उत्पादन के लिए छह अन्य कंपनियों को लाइसेंस दिया था।