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नई दिल्ली: चीनी मंडी
अधिशेष चीनी की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 50 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य रखा है। अप्रैल के पहले सप्ताह तक कुल 21 लाख 74 हजार 169 टन चीनी निर्यात के अनुबंध किये गये है। इसमें से 17 लाख 44 हजार टन चीनी वास्तव में निर्यात की गई है। अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि, सीझन के अंत तक चीनी निर्यात लक्ष्य के लगभग 70 प्रतिशत यानि 35 लाख टन तक होने की संभावना है।
भारत का चीनी मौसम 1 अक्टूबर से 30 सितंबर तक होता है। पिछले साल की तरह इस साल भी चीनी का 326 लाख टन बंपर उत्पादन होने की उम्मीद है। घरेलू बाजार में चीनी की खपत लगभग 260 लाख टन होती है, यानि अगले सीझन में भी अतिरिक्त चीनी की समस्या खड़ी हो सकती है। इसे देखते हुए केंद्र ने 50 लाख टन चीनी का लक्ष्य तय किया है और चीनी मिलों के लिए कोटा तय किया गया है।
नुकसान उठाकर निर्यात कोटा पूरा करने की कोशिश…
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतें घरेलू दरों की तुलना में काफी कम हैं, और इसीलिए मिलें चीनी निर्यात के लिए उत्साहित नही है। हालांकि, सरकार ने सब्सिडी के लिए निर्यात कोटा पूरा करने के लिए नियम बनाया है। इसलिए, नुकसान उठाकर कई मिलें निर्यात कोटा पूरा करने की कोशिश कर रही है। पिछले महीने (8 मार्च से 6 अप्रैल) में 6,13,192 टन चीनी का निर्यात हुआ है और 1 अक्टूबर 2018 से 6 अप्रैल 2019 की अवधि के दौरान 21 लाख 74 हजार 169 टन चीनी निर्यात हुई है। इसमें से 17 लाख 44 हजार 27 टन चीनी विदेश में पहुंच चुकी है। 4,13,142 टन चीनी रिफाइनरी में हैं। निर्यात की गई चीनी में लगभग आठ लाख टन चीनी कच्ची है और नौ लाख टन चीनी सफेद (व्हाइट) है।
भारत द्वारा लगभग 50 देशों को चीनी निर्यात…
भारत 50 देशों को चीनी निर्यात कर रहा है। बांग्लादेश में सबसे ज्यादा 3,56,728 टन का निर्यात होता है। निर्यात का यह प्रतिशत कुल निर्यात के 20.45 प्रतिशत है। इसके बाद, श्रीलंका को दो लाख 87 हजार 498 टन (16.48 प्रतिशत) चीनी का निर्यात किया गया है। फिर सोमालिया, ईरान, सूडान आदि देशों में चीनी निर्यात की जाती है।
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