नई दिल्ली: केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि, अकेले गन्ना 20% एथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है। भारत में, डिस्टलरी आमतौर पर मोलासेस से एथेनॉल का उत्पादन करती हैं, जो चीनी का एक उप-उत्पाद है। हालांकि, केवल गन्ना 20% सम्मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए, मक्का, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न (DFG) और भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास उपलब्ध चावल से भी एथेनॉल की भी अनुमति दी गई है।
चोपड़ा ने मक्का और एथेनॉल पर आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा की, 2025 तक पेट्रोल के साथ 20% एथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगभग 1016 करोड़ लीटर एथेनॉल की आवश्यकता होगी और अन्य उपयोगों के लिए लगभग 334 करोड़ लीटर एथेनॉल की आवश्यकता होगी। एथेनॉल उत्पादन के लिए खाद्यान्न की आवश्यकता लगभग 16.5 मिलियन टन (MT) होगी। चोपड़ा ने कहा कि, अनाज आधारित डिस्टलरी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मक्का की सुनिश्चित खरीद और पूरे क्षेत्र के लिए एक विकसित सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है।
विश्व स्तर पर, मक्का एथेनॉल के उत्पादन के लिए एक प्राथमिक फीडस्टॉक है क्योंकि इसमें पानी की कम खपत होती है और यह किफायती है। हालांकि, भारत में, एथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक के रूप में मक्का के उपयोग को गति प्राप्त करना अभी बाकी है। वर्तमान में, अनाज आधारित डिस्टिलरी या तो DFG जैसे टूटे चावल या FCI के चावल का उपयोग करके खाद्यान्न से एथेनॉल का उत्पादन हो रहा है। भारत में अनाज आधारित डिस्टिलरी द्वारा मक्का से एथेनॉल का उत्पादन मुश्किल से ही होता है। मक्का आधारित एथेनॉल अधिक किफायती और पानी की बचत भी करता है।
देश में मक्का का उत्पादन लगातार बना हुआ है। हालांकि, मक्का की कम मांग के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। मक्का से एथेनॉल के उत्पादन से मक्का की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी। निर्यात मांग के कारण इस समय मक्के के दाम ऊंचे हैं। मक्का का बाजार मूल्य आम तौर पर एमएसपी से नीचे रहता है, जिसके परिणामस्वरूप किसान मक्का की कम फसल लेते है। केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने देश में मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए अधिक लक्षित और क्षेत्र-विशिष्ट दृष्टिकोण की आवश्यकता व्यक्त की।
केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने पर्यावरण के अनुकूल ईंधन पर जोर देते हुए कहा, पेट्रोल के साथ 20% एथेनॉल के मिश्रण वाले ई20 का लक्ष्य उन्नत किया गया है, ताकि किसानों के हितों के साथ भारत को स्वच्छ ईंधन मिल सके। एथेनॉल जैसा पर्यावरण अनुकूल ईंधन पीएम मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता सूची में रहा है, जिसके परिणामस्वरूप दो वर्षों में एथेनॉल सम्मिश्रण दोगुना से अधिक हो गया है। उन्होंने दावा किया की, पिछले नौ वर्षों में, पिछले सीजन के लिए किसानों को 99.9% से अधिक भुगतान के साथ चीनी क्षेत्र आत्मनिर्भर रहा है। गोयल ने कहा, अब एथेनॉल मक्का किसानों को उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगा।’