अब तक 252 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है

2023-24 के रबी मार्केटिंग सीज़न में 9 मई 2023 तक करीब 252 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई। यह आंकड़ा 2022-23 के इस दिन तक की गई खरीदी से 75 लाख एमटी ज़्यादा हैं।

वर्तमान खरीद 252 लाख एमटी पहले ही 2022-23 के कुल रबी मार्केटिंग सीज़न (आरएमएस) में की गई गेहूं की 188 लाख एमटी खरीदी को पार कर गया है। राज्य के अन्य एजेंसियों के साथ भारत खाद्य निगम गेहूं की खरीदी में लगा हुआ है। देश के सभी खरीदी करने वाले राज्यों में यह गेहूं खरीदी सुचारू रूप से चल रही है।

वर्तमान गेहूं खरीद प्रक्रिया से लगभग 20,लाख किसान अभी तक, 47,000 करोड़ न्यूनतम समर्थन मूल्य जिसका भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया गया है से लाभान्वित हो चूके हैं। खरीद जारी रहने के कारण अभी और किसानों को लाभ मिलना बाकी है। प्रतिदिन लगभग 2 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद अभी भी की जा रही है। गेहूं की खरीद में सबसे बड़ा योगदान भारत के तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश का क्रमशः 118.68 एलएमटी 62.18 एलएमटी और 66.50 एलएमटी के साथ रहा है।

इस वर्ष बढ़ती हुई खरीद के प्रमुख कारकों में से एक सरकार द्वारा खरीदे जा रहे गेहूं के गुणवत्ता मानकों में दी गई छूट है। यह बेमौसम बारिश के कारण गेहूं की चमक में कमी को देखते हुए प्रदान किया गया है। यह किसानों की कठिनाई को तो कम करेगा ही और किसी संकट में की गई बिक्री को भी रोकेगा।

गेहूं खरीद की पहुँच बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने सभी राज्यों को गांव/पंचायत स्तर पर खरीद केंद्र खोलने और पहले से मौजूद खरीद केंद्रों के अलावा सहकारी समितियों/ग्राम-पंचायतों/आढ़तियों आदि के माध्यम से भी बेहतर खरीद करने की अनुमति दी है।

इसके साथ ही धान की खरीद भी सुचारु रूप से जारी है। 2022-23 की खरीफ फसल के दौरान 09.05 2023 तक 366 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है और 140 लाख मीट्रिक टन की खरीद अभी बाकी है। इसके अलावा खरीफ मार्केटिंग सीज़न 2022-23 की रबी फसल के दौरान 106 एलएमटी चावल की खरीद का अनुमान लगाया गया है।

सेंट्रल पूल में गेहूं और चावल का संयुक्त स्टॉक 580 एलएमटी गेहूं 310 एलएमटी और चावल 270 एलएमटी तक पहुँच गया है। जिससे देश अपनी खाद्यान्न आवश्यकताओं को आराम से पूरा करने की स्थिति में आ गया है। गेहूं और धान की चल रही खरीदी से सरकारी भंडार-गृहों में अन्न का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे पूरे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

(Source: PIB)

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