नई दिल्ली : चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) किसानों और चीनी उद्योग के बीच लगातार चर्चा का विषय रहा है। केंद्र सरकार द्वारा पहली बार MSP तंत्र पेश किए जाने के बाद से FRP और MSP के बीच वृद्धि के अंतर पर करीब से नज़र डालते हैं। MSP चीनी उद्योग के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि लगभग 85% राजस्व चीनी की बिक्री से आता है और मिलें इससे किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करती है।
जून 2018 में जब गन्ने का FRP 2550 प्रति टन था, तब केंद्र सरकार ने पहली बार चीनी MSP 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया था। हालांकि, उसके बाद FRP लगातार बढ़ रहा है, जबकि चीनी MSP में आखरीबार फरवरी 2019 में 2 रूपये बढ़ोतरी के साथ 31 रुपये प्रति किलोग्राम की थी, लेकिन उसके बाद से MSP में बढ़ोतरी नही हुई है। गन्ने का FRP 2017-18 में 2550 रुपये प्रति टन से 2022-23 तक 3050 रूपये प्रति टन तक पहुंच गया है। यानि FRP में प्रति टन 500 रुपयों की बढ़ोतरी हुई है।
FRP और अन्य लागत तत्वों में वृद्धि के कारण चीनी की उत्पादन लागत लगभग 38 रूपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है, और इस कारण चीनी उद्योग वित्तीय रूप से संघर्ष कर रहा है। चीनी मिलर्स केंद्र सरकार से FRP के अनुरूप चीनी MSP बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। मिलर्स दावा कर रहे है की, FRP के अनुरूप MSP बढ़ाने से किसानों को उनके गन्ने का उचित मूल्य मिलेगा और चीनी उद्योग को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बने रहने में मदद मिलेगी। MSP और FRP को संतुलित करने और किसानों और चीनी मिलर्स दोनों के हितों की रक्षा के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
गन्ने के FRP और चीनी MSP की वर्षवार दर नीचे दी गई है:
हाल ही में, इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने सरकार से गन्ने के FRP के अनुरूप चीनी के MSP को मौजूदा 31 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर से बढ़ाकर 38 रुपये प्रति किलोग्राम करने का आग्रह किया था। खाद्य मंत्रालय को भेजे पत्र में ISMA के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने कहा कि, FRP में काफी बढ़ोतरी के बावजूद 2018-19 से MSP में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। उन्होंने आगे कहा, हमने पहले सूचित किया था कि चीनी उत्पादन की लागत 36 रुपये प्रति किलोग्राम थी और अब FRP और अन्य लागत तत्वों में वृद्धि के कारण यह बढ़कर 38 प्रति किलोग्राम रुपये हो गई है।
ISMA के अनुसार, कच्चे माल की लागत के अलावा अन्य घटकों की लागत भी बढ़ गई है, जैसे की…
1. मरम्मत और रखरखाव को प्रभावित करने वाले स्टील और अन्य धातु की लागत
2. गंधक, चूना आदि जैसे महत्वपूर्ण रसायनों की कीमत में उल्लेखनीय वृद्धि
3. पैकिंग सामग्री विशेष रूप से जूट बैग और एचडीपीई/पीपी बैग (एचडीपीई ग्रैन्यूल्स की कीमत में वृद्धि के कारण) की कीमत में बढ़ोतरी
4. श्रम शक्ति की लागत में वृद्धि
5. ब्याज दरों में वृद्धि (पिछले वर्ष की तुलना में 1% की रेपो दर) टर्म लोन और कार्यशील पूंजी को प्रभावित करती है
ISMA ने यह भी कहा कि, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) और अन्य विशेषज्ञ निकायों जैसे मंत्रियों के समूह, सचिवों की समिति, नीति आयोग और विभिन्न राज्य सरकारों ने गन्ने के एफआरपी की तुलना में चीनी MSP उचित स्तर तक बढ़ाने की सिफारिश की है।