कोल्हापुर : महाराष्ट्र में सबसे अधिक गन्ना मूल्य भुगतान करने वाली जिले की बिद्री सहकारी चीनी मिल के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। छत्रपति राजाराम सहकारी चीनी मिल का चुनावी संग्राम खत्म होने के बाद अब कागल तालुका स्थित बिद्री मिल के चुनाव का आगाज हो गया है। विपक्ष ने सत्ता पक्ष को चुनौती देना शुरू कर दिया है। पिछले चुनावों में विपक्षी दल का नेतृत्व करने वाले सांसद संजय मांडलिक ने कहा है कि, वह बिद्री और अपनी हमीदवाड़ा मंडलीक मिल के चुनाव को निर्विरोध कराने की कोशिश करेंगे, लेकिन इसे लेकर सत्ता पक्ष के नेता, विधायक हसन मुश्रीफ ने संदेह जताया है। राधानगरी-भुदरगड तालुका विधानसभा क्षेत्र का चुनाव बिद्री मिल चुनाव जीतना ही अहम है।
दूधगंगा वेदगंगा सहकारी चीनी मिल (बिद्री) चार तालुकों की राजनीति का केंद्र बिंदु है। मिल का भुदरगड, राधानगरी, कागल और करवीर तालुकों में 218 गांवों का कार्यक्षेत्र है। मिल में 55 हजार गन्ना उत्पादक और संस्थाओं के 1000 से अधिक सदस्य हैं। चूंकि 61 हजार सदस्यों वाली इस मिल के पिछले दो चुनाव काफी चर्चित रहे थे, ऐसे में विभिन्न घटनाक्रमों की वजह से यह दिलचस्प हो गया है कि इस बार की राजनीति वास्तव में क्या करवट लेगी।
मिल के अध्यक्ष एनसीपी के पूर्व विधायक के. पी. पाटिल ने पिछले चुनाव में तत्कालीन पालकमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल, विधायक हसन मुश्रीफ ने साथ आकर चुनाव लड़ा और सफलता पाई। इसी समय छह भाजपा निदेशक मिल में प्रवेश कर गए। पिछले पांच वर्षों में बिद्री मिल ने राज्य में सबसे जादा डॉ दिया हैं। इस सीजन में गन्ना किसानों को 3209 रुपये प्रति टन देकर संतुष्ट करते हुए के. पी। पाटिल ने बिद्री के चुनाव की तैयारी की है। शिंदे गुट के शिवसेना विधायक प्रकाश आबिटकर ने पाटिल पर एफआरपी से अधिक भुगतान करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन इतिहास कहता है कि आज तक बिद्री में उन्हें जीत नहीं मिल पाई है।