नई दिल्ली : मीडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, चीनी के 6 मिलियन टन के शिपमेंट के बाद केंद्र सरकार ने चालू सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी निर्यात की दूसरी किश्त की अनुमति नहीं देने पर विचार कर रही है। सरकार ने यह फैसला आने वाले महीनों में घरेलू चीनी की कीमतों में तेजी से बचने के लिए लिया है। इस सीजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम पैदावार से चीनी उत्पादन प्रभावित हुआ है। अनुमान से उत्पादन कम होने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट मोड़ पर है, और फ़िलहाल चीनी निर्यात को अनुमति नही देनें पर विचार किया जा रहा है।
चीनी उद्योग ने पहले अनुमान लगाया था कि, एथेनॉल उत्पादन के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद देश 2022-23 सीज़न में लगभग 8 मिलियन टन चीनी का निर्यात कर सकता है। अप्रैल 2023 में चीनी के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 1.57% थी, जबकि नवंबर और दिसंबर 2022 में चीनी मुद्रास्फीति नकारात्मक थी। चीनी की कीमतें गर्मी के महीनों में बढ़ जाती है, क्योंकि शीतल पेय, आइसक्रीम और डेयरी उत्पादों की मांग काफी बढ़ जाती है। सरकार कीमतों पर करीब से नजर रख रहे हैं और कम उत्पादन की वजह से कीमतों में किसी तरह की बढ़ोतरी से बचना चाहते हैं।
इस बीच, नेशनल फेडरेशन ऑफ़ को- ओपरेटिव शुगर मिल्स असोसिएशन के अनुसार, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में कम उपज के कारण, 2022-23 सीज़न में चीनी उत्पादन पिछले वर्ष के 35.9 मिलियन टन के उत्पादन से 9% घटकर 32.5 मिलियन टन हो सकता है।