पटना : बिहार में भले ही भारी उद्योगों को समर्थन देने के लिए खनिजों की प्रचुरता न हो, लेकिन इसके पानी के समृद्ध भंडार, अनाज और गन्ने की प्रचुरता के कारण बिहार देश में एथेनॉल उत्पादन का हब बनकर सामने आएगा। कृषि-समृद्ध बिहार ने हाल ही में एथेनॉल उत्पादन में प्रवेश करके अपने संसाधनों के उपयोग का एक नया अवसर खोजा है। भारत सरकार की नई एथेनॉल नीति के तहत बिहार में 17 बड़े परियोजनाओं पर काम शुरू है, उनमें से दो का उद्घाटन हो चुका है और कई अन्य अगले कुछ महीनों में चालू होने के लिए तैयार हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 मई, 2022 को पूर्णिया में बिहार के पहले एथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया था। इसकी प्रतिदिन 65,000 लीटर एथेनॉल उत्पादन करने की क्षमता है। सीएम कुमार ने इस साल 6 अप्रैल 2023 को मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर में राज्य के दूसरे एथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया था। इस प्लांट में मक्का और चावल से प्रतिदिन 110 किलोलीटर की दर से एथेनॉल का उत्पादन करने की क्षमता है।
बिहार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग) संदीप पौंडरिक ने ‘टीओआई’ को बताया कि, 17 प्लांट में से पांच को पहले ही चालू किया जा चुका है। पौंडरिक ने कहा, मक्का और पानी सहित कच्चे माल की प्रचुरता के साथ, बिहार देश का ‘एथेनॉल हब’ बनने के लिए तैयार है। तेल विपणन कंपनियों ने 1,080KLPD (किलो लीटर प्रति दिन) की स्वीकृत क्षमता के साथ 17 इकाइयों के साथ 10 वर्षों के दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इन इकाइयों से हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।रोजगार के अवसर से बिहार के बाहर लोगों के पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी।
राज्य के उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने कहा कि, कुल मिलाकर 12 विभाग बिहार में एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समन्वय कर रहे हैं। मंत्री ने कहा, राज्य में एथेनॉल के उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। बिहार में हर साल 35 लाख मीट्रिक टन मक्का का उत्पादन होता है, जो देश में सबसे ज्यादा है।
राज्य के पूर्व उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा, बिहार मुख्य रूप से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई जैव ईंधन की राष्ट्रीय नीति, 2018 के कारण ‘एथेनॉल हब’ बन गया है। इसने मक्का और पिसे हुए चावल से एथेनॉल के उत्पादन की अनुमति दी।