केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने से किया इनकार

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने मंगलवार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने से इनकार किया, लेकिन कहा कि राजनयिक चैनलों के माध्यम से खाद्यान्न के शिपमेंट पर मामले के आधार पर विचार किया जाएगा। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक भारत ने बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, यह पूछे जाने पर कि क्या गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी, उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, बिल्कुल भी कोई मौका नहीं है। केंद्र सरकार ‘सरकार से सरकार’ व्यापार व्यवस्था के माध्यम से नेपाल और भूटान जैसे कुछ देशों को कुछ मात्रा में गेहूं की आपूर्ति कर रही है। उन्होंने कहा, विदेश मंत्रालय की ओर से अनुरोध होने पर हम इस पर विचार करेंगे।

निर्यात प्रतिबंध जारी रखने का कारण बताते हुए खाद्य मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. सुबोध कुमार ने कहा कि, भारत पारंपरिक गेहूं निर्यातक देश नहीं है। हालांकि, देश ने अधिशेष आपूर्ति के कारण पिछले तीन वर्षों में गेहूं का निर्यात किया।देश ने पिछले तीन वर्षों में सालाना 2-7 मिलियन टन की सीमा में गेहूं का निर्यात किया।उन्होंने कहा कि, पिछले साल गेहूं का निर्यात 50 लाख टन था।

उन्होंने कहा, जलवायु कारणों से पिछले वर्ष के दौरान गेहूं का उत्पादन कम रहा। हालांकि, इस वर्ष उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है और उपलब्धता पिछले वर्ष की तुलना में 10 मिलियन टन अधिक होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि, घरेलू बाजार में गेहूं उचित मूल्य पर उपलब्ध है। विपणन वर्ष 2023-23 (अप्रैल-मार्च) में अब तक गेहूं की खरीद 26.2 मिलियन टन तक पहुंच गई है।पीडीएस आवश्यकता को पूरा करने के बाद एफसीआई के पास अतिरिक्त 8.5-9 मिलियन टन गेहूं होगा।कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के मुताबिक, सरकार ने 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड 11.21 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है।

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