महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन में गिरावट की संभावना

मुंबई / पुणे: पिछले करीब 15 दिनों से बारिश की कमी से इस साल भी राज्य में गन्ना उत्पादन में कमी की आशंका जतायी जा रही है। विशेषकर राज्य के गन्ना क्षेत्र में मानसून पूर्व बारिश न होने से गन्ने की वृद्धि बाधित हो रही है। राज्य का बागवानी क्षेत्र भी पानी की कमी से जूझ रहा है। कई नदियों से खेती के लिए पानी की आपूर्ति प्रतिबंधित कर दी गई है। एक ओर बारिश की कमी और दूसरी ओर नदियों और कुओं का पानी कम हो गया है, जिससे गन्ने को पानी देना असंभव हो गया है।

मानसून की शुरुआत में किया जाने वाला खाद प्रबंधन बारिश नही होने से रुका हुआ है, जिसका सीधा असर गन्ने की ग्रोथ पर पड़ रहा है। बारिश के भरोसे फसल बोने वाले किसानों के सामने खेती का संकट खड़ा हो गया है। पिछले साल गन्ने के उत्पादन में गिरावट ने सभी के अनुमानों को गलत साबित कर दिया। कुछ जगहों पर भारी बारिश के कारण गन्ने की बढ़वार अच्छी नहीं हुई है। हालांकि कम बारिश के कारण गन्ने की बढ़वार रुक गई है।

गर्मी के दिनों में बिजली और तूफानी बारिश गन्ने की फसल को सहारा देती है। बिजली गिरने के कारण हवा में मौजूद नाइट्रोजन की आपूर्ति जमीन को हो जाती है। भारी वर्षा मिट्टी को नम रखती है। इससे सिंचाई के साथ-साथ ड्रिप सिंचाई का तनाव भी कम होता है। गन्ना बेल्ट में सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता के कारण गन्ना विकास आमतौर पर प्रभावित नहीं होता है, खासकर पश्चिमी और दक्षिणी महाराष्ट्र में। हालांकि इस साल इस क्षेत्र में भी अप्रैल और मई में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक बना रहा। गर्मी में वृद्धि हुई, लेकिन साथ ही भूमिगत जल भंडार भी कम हो गया।

इस वर्ष प्राप्त बिजली आपूर्ति पर्याप्त नहीं होने के कारण अधिकांश किसान गन्ने को पानी नहीं दे पा रहे हैं। हालांकि उम्मीद थी कि बारिश से कुछ दिन राहत मिलेगी, लेकिन बारिश भी नहीं हुई। अब कीट की समस्या बढ़ रही है। इससे किसानों को परेशानी हो रही है।

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