अम्बाला: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, केवल चावल, गेहूं, गन्ना और मक्का से किसानों की गरीबी खत्म नहीं होगी और उन्हें “अन्नदाता” होने के साथ-साथ “ऊर्जादाता” (ऊर्जा प्रदाता) भी बनना चाहिए। वह करनाल के कुटेल गांव में करीब 1690 करोड़ रुपये की लागत से 35 किलोमीटर लंबी करनाल ग्रीन फील्ड सिक्स लेन रिंग रोड परियोजना के निर्माण की आधारशिला रखने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे।
चावल के पुआल, टूटे चावल, मक्का, बांस, गन्ने के रस और गुड़ से एथेनॉल का उत्पादन किया जा रहा है। उन्हें ऊर्जा फसलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए और ऊर्जा प्रदाता बनना चाहिए। अगर 16 लाख करोड़ रुपये में से 10 लाख करोड़ रुपये किसानों के पास जाते हैं, तो वे समृद्ध और शक्तिशाली बनेंगे। देश बदल रहा है और हम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं।
गडकरी ने कहा कि, एनएच-44 पर शामगढ़ गांव से बरोटा रोड तक रिंग रोड से न केवल करनाल शहर का ट्रैफिक जाम कम होगा, बल्कि चलने वाले वाहनों की लागत भी कम होगी।उन्होंने कहा, हरियाणा में कृषि के लिए आदर्श भूमि है और प्रति एकड़ अच्छी उपज है। मैं लंबे समय से कहता आ रहा हूं कि, हमारे देश के किसान भी ‘ऊर्जादाता’ बनें। हम करीब 16 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन का आयात करते हैं। किसानों को ऊर्जा उत्पादक फसलें उगाना शुरू कर देना चाहिए।