केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि “प्रभावी आपदा प्रतिक्रिया एवं प्रबंधन सहयोगपूर्ण कार्य है; निश्चित रूप से समन्वित कार्रवाई के माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि लू के कारण किसी की मौत न हो।” डॉ. मनसुख मांडविया ने आज गर्मी से संबंधित बीमारियों का प्रबंधन करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की और भीषण गर्मी का सामना कर रहे सात राज्यों (उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना) के स्वास्थ्य मंत्रियों, राज्य आपदा प्रबंधन मंत्रियों और प्रधान सचिवों/अतिरिक्त मुख्य सचिवों एवं सूचना आयुक्तों के साथ वर्चुअल माध्यम से बातचीत की। इस बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय भी उपस्थित रहे जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल वर्चुअल रूप से उपस्थित हुए।
इस उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में केंद्रीय राज्य मंत्रियों के साथ-साथ बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री श्री शाहनवाज आलम, झारखंड के स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री बन्ना गुप्ता, ओडिशा की आपदा प्रबंधन मंत्री सुश्री प्रतिमा, तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री श्री हरीश राव, उत्तर प्रदेश के आपदा प्रबंधन मंत्री श्री अनूप वाल्मीकि और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह भी शामिल हुए। राज्यों के स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन मंत्रियों ने समय पर समीक्षा बैठक करने और राज्यों को निरंतर समर्थन प्रदान करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को धन्यवाद दिया।
डॉ. मांडविया ने कहा कि “हाल ही में देश में आए चक्रवात बिपरजॉय की तैयारी में हमने यह साबित किया है कि केंद्र और राज्यों के बीच सही समय पर और प्रभावी समन्वय से अपेक्षित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। राज्यों द्वारा अपने विचारों, विशेषज्ञता एवं सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने से गर्मी संबंधित बीमारियों का प्रबंधन प्रभावी रूप से करने के लिए सभी को बहुत ज्यादा मदद मिलती है।” उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे लोगों को समय पर गर्मी को लेकर चेतावनी देने के साथ-साथ अपने राज्य में जमीनी स्तर पर कार्य योजनाओं को लागू करें और हीटवेव के गंभीर प्रभाव को कम करने के लिए सभी उपाय सुनिश्चित करें। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन राज्यों को भी सलाह दी जिन्होंने अभी तक राष्ट्रीय कार्य योजना को ध्यान में रखते हुए अपने राज्य में स्वास्थ्य कार्य योजना तैयार नहीं की है, जिससे विशिष्ट क्षेत्रीय स्तर पर की जा रही कार्रवाइयों का तत्काल विवरण प्रदान किया जा सके और उसका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
डॉ. मांडविया ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी राज्यों से दैनिक रूप से गर्मी की चेतावनी और आईएमडी के पूर्वानुमान को साझा करता है। श्री मांडविया ने राज्यों से अपने अधिकारियों, चिकित्सा अधिकारियों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए गर्मी और स्वास्थ्य प्रशिक्षण नियमावली विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “राज्य के प्रशिक्षकों के लिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनका प्रशिक्षण जमीनी स्तर पर हो। चिकित्सा अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मचारियों का क्षमता निर्माण और गर्मी संबंधित बीमारियों के प्रति जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाना, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए प्रशिक्षण नियमावली का उपयोग करके प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है।” राज्यों को सलाह दी गई कि वे अत्यधिक गर्मी के प्रति रेजीलिएंश को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें और गर्मी गर्मी में कमी लाने वाले उपायों को अपनाएं जिसमें सौर पैनलों की स्थापना, ठंडी/पेड़-पौधों से युक्त छत, विंडो शेडिंग, शेड्स आदि की स्थापना करना शामिल है।
जमीनी स्तर पर सटीक दिन और तिथि की जानकारी में कमी पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने राज्यों से हीटवेव पर जमीनी स्तर के डेटा को साझा करने का आग्रह किया, जिसमें मौत और मामले भी शामिल हैं, जिससे वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सके। उन्होंने राज्यों में आईएमडी अलर्ट प्राप्त होने के बाद सही समय पर कार्रवाई करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “लोगों के बीच निवारक उपायों पर सही समय पर, अग्रिम एवं व्यापक जागरूकता उत्पन्न करने के माध्यम से लू के गंभीर प्रभाव को कम करने में बहुत हद तक सहायता मिलेगी।”
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यों से आग्रह किया कि वे लोगों के बीच सूचना एवं जागरूकता अभियान चलाएं। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे लू के दुष्प्रभावों को न्यूनतम करने के लिए राज्य कार्य योजनाओं का कार्यान्वयन जमीनी स्तर पर अपनाने में तेजी लाएं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रोफेसर एस पी बघेल ने भी लू की स्थिति पर राज्यों द्वारा नियमित परामर्श साझा करने पर जोर दिया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने देश में कुल हीटस्ट्रोक मामलों एवं मौतों तथा सात प्रभावित राज्यों में गर्मी से संबंधित बीमारियों की स्थिति का अवलोकन और विश्लेषण किया, जिसमें कुल आपातकालीन ओपीडी की संख्या, हीटस्ट्रोक के संदिग्ध एवं पुष्टि मामलों और मौतों और एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) पोर्टल के अनुसार उनकी रिपोर्टिंग को शामिल है। यह भी जानकारी प्रदान की गई कि जुलाई 2021 में गर्मी से संबंधित बीमारी पर राष्ट्रीय कार्य योजना ने लू और गर्मी से संबंधित बीमारियों एवं प्राथमिक से तृतीयक स्तर तक उनका प्रबंधन करने में उत्पन्न चुनौतियों को रेखांकित किया; जिसमें हीट स्ट्रोक मामलों और मौतों की निगरानी के लिए एसओपी; कमजोर वर्गों में गर्मी संबंधित बीमारी (एचआरआई) पर विशेष जोर देने के साथ गर्मी के मौसम से पहले और गर्मी के मौसम के दौरान तैयारी की योजना भी शामिल है।
राज्यों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दो परामर्शों के बारे में भी याद दिलाया गया। पहला 28 फरवरी, 2023 को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को जारी किया था, जिसमें राज्यों को गर्मी के प्रभाव को न्यूनतम करने और इन मामलों का प्रबंधन करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रभावपूर्ण तैयारी करने, गर्मी संबंधित बीमारियों पर राष्ट्रीय कार्य योजना का सही अनुपालन करने का अनुरोध किया गया। इसमें राज्यों को आवश्यक दवाएं, अंतःशिरा तरल पदार्थ, आइस-पैक, ओआरएस, पेयजल के साथ-साथ लोगों के लिए आईईसी गतिविधियों के लिए स्वास्थ्य सुविधा तैयारियों की समीक्षा करने की भी सलाह दी गई। दूसरा परामर्श केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम नागरिकों के साथ-साथ कमजोर वर्गों के बीच व्यापक जागरूकता फैलाने के लिए जारी किया गया, जिसमें बताया गया कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। राज्यों को इसका उपयोग एक टेम्पलेट के रूप में करने और इसका अनुवाद क्षेत्रीय भाषाओं में करने और नियोक्ताओं को कार्यस्थल तैयारी में मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए एनपीसीसीएचएच परामर्श का पालन करने की सलाह दी गई।
इस बैठक में श्री राजेश भूषण, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, श्री सुधांश पंत, विशेष कार्य अधिकारी (स्वास्थ्य मंत्रालय), डॉ. राजीव बहल, आईसीएमआर के महानिदेशक, श्री लव अग्रवाल, अपर सचिव (स्वास्थ्य मंत्रालय), डॉ. अतुल गोयल, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. मृत्युंजय महापात्र, आईएमडी के महानिदेशक, डॉ. एम श्रीनिवास, नई दिल्ली एम्स के निदेशक और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित हुए।
(Source: PIB)