मुंबई: द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, राज्य सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया कि, वह प्रवासी गन्ना मजदूरों के लिए श्रम कानूनों और विशेष रूप से अनुबंध श्रम अधिनियम को लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाएगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने चीनी बेल्ट में प्रवासी मजदूरों के कथित वित्तीय और यौन उत्पीड़न को लेकर एक समाचार पत्र के लेख पर स्वत: संज्ञान (suo motu PIL) लिया था। राज्य सरकार ने कहा कि, यौन उत्पीड़न के मामलों को हल करने के लिए महिला एवं बाल विकास और गृह विभाग जागरूकता और निवारक कार्रवाई के लिए कदम उठाने के लिए एक-दूसरे के साथ समन्वय करेंगे।
राज्य का प्रतिनिधित्व उसके महाधिवक्ता बीरेन सराफ और सरकारी वकील पी.पी. काकड़े ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ के समक्ष श्रम उपायुक्त एसएम कानडे द्वारा दायर हलफनामा प्रस्तुत किया। सराफ ने कहा कि, राज्य ने प्रवासी गन्ना काटने वालों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों और आगामी सीजन के लिए प्रस्तावित कदमों के बारे में भी बताया। हलफनामे में विभिन्न विभागों से संकलित जानकारी शामिल थी और कोर्ट ने सुझाव दिया कि राज्य को एक नोडल एजेंसी बनानी चाहिए ताकि वह कार्यवाही में आसानी के लिए इसके माध्यम से अदालत में प्रस्तुतियां दे सके।
राज्य सरकार ने कहा कि, चीनी मिलें फैक्ट्री अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं और श्रम विभाग के नियंत्रण में औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा निदेशालय द्वारा विनियमित हैं ।चीनी सीजन अक्टूबर में 5 से 7 महीनों के लिए शुरू होता है और प्राप्त होने वाली किसी भी शिकायत का समाधान श्रम विभाग को करना होता है।
मूल वेतन और महंगाई भत्ता दोनों कृषि क्षेत्र में ‘न्यूनतम वेतन’ के अंतर्गत शामिल हैं और गन्ना काटने वालों पर लागू होते हैं। ठेकेदार को इन श्रमिकों को न्यूनतम वेतन देना अनिवार्य है। राज्य सरकार ने कहा कि, वह “1970 के अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे और अन्य राज्यों से आए अनुबंधित मजदूरों के लिए भी अधिनियम के तहत कल्याण का प्रावधान सुनिश्चित करेगा। राज्य सरकार ने कहा कि, अंतरराज्यीय प्रवासी कामगारों के लिए एक अंतरराज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम भी है, जिस पर गौर किया जाएगा।
श्रम विभाग द्वारा आगामी गन्ना सीज़न के लिए तैयार की गई एक कार्य योजना में श्रम आयुक्त कार्यालय के संभागीय अधिकारी द्वारा कल्याण प्रथाओं की निगरानी निर्धारित की गई है। लगभग आठ लाख गन्ना श्रमिक हैं, जो सीजन के दौरान मराठवाड़ा और विदर्भ के विभिन्न जिलों से 200 से अधिक विभिन्न मिलों में चले जाते हैं।