नई दिल्ली : देश के चीनी उद्योग ने चीनी, एथेनॉल, बिजली और अन्य उप-उत्पादों के उत्पादन में मील का पत्थर पार कर लिया है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी एथेनॉल मिश्रण नीति में चीनी उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालाँकि, देश के 5 करोड़ किसान और 50 लाख श्रमिकों से जुड़ा चीनी उद्योग समस्याओं से जूझ रहा है। तक़रीबन 80 हजार करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करने वाला चीनी उद्योग पिछले तीन से चार साल से लगातार एमएसपी में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है।
केंद्र सरकार ने कृषि मूल्य आयोग की सिफारिश के अनुसार आगामी पेराई मौसम के लिए 28 जून 2023 को एफआरपी बढ़ाने का फैसला किया। सरकार के इस फैसले से करोड़ों किसानों को फायदा होगा, लेकिन किसानों का कहना है कि महंगाई के मुकाबले यह बढ़ोतरी काफी कम है। हालांकि, ‘एफआरपी’ में बढ़ोतरी के बाद अब देश में चीनी उद्योग की नजर चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने पर है। चीनी मिल मालिकों ने दावा किया है कि, चीनी उद्योग को वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए एमएसपी बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
केंद्र सरकार द्वारा ‘एमएसपी’ में आखिरी बढ़ोतरी 2019 में की गई थी, जब चीनी का बिक्री मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। तब से आज तक सरकार ने ‘एमएसपी’ नहीं बढ़ाई है। 2019 में एफ.आर.पी. प्रति टन 2750 रूपये थी और एफआरपी तब से चार गुना बढ़ गई है। 2023-24 के लिए एफआरपी 3150 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है, लेकिन चीनी एमएसपी 3100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी हुई है। चीनी की कीमतें पिछले दो वर्षों से एमएसपी के आसपास घूम रही हैं। चीनी उद्योग ने दावा किया कि, शॉर्ट मार्जिन बढ़ रहा है और इसका सीधा असर किसानों के भुगतान पर पड़ रहा है। चीनी उद्योग लगातार केंद्र सरकार से एमएसपी में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है। लेकिन अभी भी सरकार की ओर से एमएसपी बढ़ोतरी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
जानकारों का कहना है की, पिछले कुछ वर्षों में चीनी उद्योग के सामने आने वाली कठिनाइयों का मुख्य कारण गन्ने की कीमत में लगातार वृद्धि की पृष्ठभूमि में हाल के वर्षों में चीनी की कीमत में गिरावट है। गन्ना किसानों के बकाया गन्ना बिल की समस्या से बचने और चीनी उद्योग को सुचारू रूप से चालू रखने के लिए गन्ने की कीमतों को चीनी की कीमतों से जोड़ा जाना चाहिए। किसानों को एफआरपी से कम कीमत मिलने से बचाने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष के साथ एक राजस्व साझाकरण फॉर्मूला (आरएसएफ) पेश किया जाना चाहिए। रंगराजन समिति द्वारा सुझाए गए वैज्ञानिक फार्मूले पर विचार किया जा सकता है।
जल संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, निति आयोग के टास्क फोर्स ने गन्ने की खेती के तहत कुछ क्षेत्रों को कम पानी वाली फसलों में स्थानांतरित करने की सिफारिश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि, गन्ने की तुलना में कम पानी की आवश्यकता वाली वैकल्पिक खेती के तरीकों के लिए किसानों को अतिरिक्त प्रोत्साहन के रूप में 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जा सकता है।
चीनी मिलों का वित्तीय संकट चिंता का एक बड़ा कारण बन गया है, जिसके कारण सरकार समय-समय पर चीनी उद्योग को वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए विभिन्न उपाय करती रही है। टास्क फोर्स ने इसके लिए दीर्घकालिक समाधान की सिफारिश की है।
हालाँकि, चीनी उद्योग को स्थायी आर्थिक संकट से बाहर लाने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है। विशेषज्ञों की राय है कि, सरकार की मदद एक अस्थायी राहत है और चीनी उद्योग आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पायेगा। चीनी उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी एक अच्छा कदम साबित हो सकता है।