पुणे: चीनी उद्योग के विशेषज्ञ द्वारा एमएसपी बढाने की मांग उठाई जा रही है। केंद्र सरकार ने आगामी पेराई सीजन के लिए 28 जून 2023 को एफआरपी बढ़ाने का फैसला किया। हालांकि, ‘एफआरपी’ में बढ़ोतरी के बाद चीनी उद्योग को उम्मीद थी की, अब चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी होगी, जिसकी आर्थिक तंगी से परेशान चीनी उद्योग को जरूरत है। चीनी मिलर्स के अनुसार, चीनी उद्योग को वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए एमएसपी बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन सरकार ने चीनी एमएसपी बढ़ाने को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नही उठाया है। शोर्ट मार्जिन से परेशान चीनी मिलर्स प्रति क्विंटल 3700 रूपये एमएसपी बढ़ाने की मांग कर रहे है।
महाराष्ट्र के धाराशिव जिले में स्थित नेचुरल उद्योग समूह के संस्थापक अध्यक्ष और चीनी उद्योग के विशेषज्ञ बी.बी. ठोंबरे ने केंद्र सरकार से चीनी की एमएसपी बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा की, हमारी मिल द्वारा चीनी, एथेनोल, बिजली, बायोगास, बायो सीएनजी आदि का उत्पादन लिया जाता है। उन्होंने कहा, 2022 – 2023 के दौरान समुह ने कुल 950 करोड़ रूपये कारोबार किया है और लगभग 82 करोड़ 82 लाख जीएसटी, इनकम टैक्स दिया है। देश की सभी चीनी मिलें सरकार को हर साल करोड़ों का टैक्स भुगतान करते है, इसलिए चीनी उद्योग के प्रति केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सहानुभूति का रवैया अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार द्वारा ‘एमएसपी’ में आखिरी बढ़ोतरी 2019 में की गई थी, जब चीनी का बिक्री मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था, और तब सरकार ने ‘एमएसपी’ नहीं बढ़ाई है। लेकिन दूसरी तरफ एफआरपी में तीन बार बढ़ोतरी की गई है। 2023-24 सीजन के लिए एफआरपी 3150 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है, लेकिन चीनी एमएसपी 3100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी हुई है। ठोंबरे ने कहा, देश की हर एक चीनी मिल हर साल सरकार के खजाने में 50 से 150 करोड़ रूपये तक टैक्स के रूप में योगदान देती है। किसानों की आर्थिक उन्नति में भी चीनी मिलें काफी अहम भूमिका निभाती है।सरकार ने गन्ने का एफआरपी बार बार बढाया, लेकिन गन्ने से बने चीनी का एमएसपी नही बढाया है, जो बढ़ाना काफी जरुरी है। ठोंबरे ने सरकार से चीनी की एमएसपी 3100 रुपये प्रति क्विंटल से बढाकर 3700 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है।