मुंबई : किसानों को गन्ने का दाम दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे नेताओं को छोड़कर शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा गन्ना मूल्य नियंत्रण समिति का गठन किए जाने से राजनीति में हड़कंप मच गया है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष, पूर्व सांसद राजू शेट्टी समेत रघुनाथदादा पाटील, सदाभाऊ खोत को इस समिति से सरकार ने दूर रखा है।
गन्ना मूल्य तय करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गन्ना दर नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की गई। इस बोर्ड में गैर-सरकारी और सरकारी सदस्यों की नियुक्ति की जाती थी। पूर्व सांसद राजू शेट्टी और अन्य किसान नेता पिछले कई वर्षों से गन्ना मूल्य के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। इसी वजह से पिछली सरकारों द्वारा शेट्टी और अन्य किसान नेताओं को गन्ना मूल्य नियंत्रण बोर्ड का सदस्य बनाया गया था। लेकिन मंगलवार (12, जुलाई 2023) को राज्य सरकार ने गन्ना मूल्य नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों का ऐलान किया, और उसके बाद राजकीय गलियारों हड़कंप मच है।
सरकार द्वारा गन्ना दर नियंत्रण समिति में सुहास पाटिल, सचिन कुमार नलवाडे, पृथ्वीराज जाचक, धनंजय भोसले, योगेश बर्डे को शामिल किया गया है।चीनी मिलों के प्रतिनिधि के रूप में कर्मयोगी सुधाकरपंत परिचारक सहकारी चीनी फैक्ट्री के निदेशक प्रशांत परिचारक, पद्मश्री विट्ठलराव विखे पाटील सहकारी चीनी फैक्ट्री के निदेशक कैलास तांबे, छत्रपति संभाजीराजे चीनी उद्योग के निदेशक दामोदर नवपुते, मानस एग्रो इंडस्ट्री के निदेशक आनंदराव राउत भी शामिल है।