कोल्हापुर : जिले में पिछले आठ-दस दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ा है।जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे की गन्ने और धान की जादातर फसल पानी में डूब गई है। बाढ़ का सबसे ज्यादा असर गन्ने की खेती पर पड़ने की संभावना है।चूंकि पिछले आठ-दस दिनों से करीब 45 हजार हेक्टेयर गन्ने की फसल पानी में डूबी हुई है, ऐसे में गन्ने के ऊपरी हिस्से में पानी और मिट्टी चले जाने से सड़ने की प्रक्रिया तेज होने की आशंका है। इससे गन्ना किसानों को बड़ा नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। बाढ़ से शिरोळ, हातकनंगले और करवीर तालुका के किसान सबसे अधिक प्रभावित हुए है।
आपको बता दे की, जिले में 18 जुलाई से भारी बारिश हो रही है, पिछले दस दिनों से लगातार बारिश हो रही है। पंचगंगा और अन्य नदियों पर बने 72 से अधिक बांध पानी में डूब गए है।सभी नदियों का पानी खेती में घुस गया है।गन्ना, धान की फसलें पानी में डूब गई है। पिछले आठ दिनों से पानी में डूबे रहने से गन्ने की फसल को नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
अगर गन्ना पूरा डूबता है तो
गाद-मिश्रित गीली मिट्टी की एक परत गन्ने के शीर्ष में जम जाती है, जिससे सड़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। गन्ना ऊपर से नीचे तक सूखता है। पानी में डूबे तने अंकुरित होते हैं।गन्ना खोखला हो जाता है। आठ दिन से अधिक समय तक बाढ़ के पानी में गन्ना रहने पर 80 से 100 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। पानी भरे गन्ने में कीट लगने का खतरा अधिक रहता है।