वर्तमान में, देश भर में 86 हवाई अड्डे हरित ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें से 55 हवाई अड्डों की कुल ऊर्जा खपत में हरित ऊर्जा की हिस्सेदारी 100 प्रतिशत है। इन हवाई अड्डों की सूची अनुबंध में है।
यद्यपि हवाई अड्डों पर कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख कारण ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों का उपयोग है और इस प्रकार अनवीकरणीय अर्थात दोबारा प्रयोग में न लाई जा सकने वाली ऊर्जा के स्थान पर हरित ऊर्जा का उपयोग करने से हवाई अड्डे के कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद मिलती है। इसलिए, नागर विमानन मंत्रालय ने निर्धारित संचालन वाले सभी परिचालन हवाई अड्डों और आगामी ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के डेवलपर्स को कार्बन तटस्थता और नेट ज़ीरो प्राप्त करने की दिशा में काम करने की सलाह दी है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ हरित ऊर्जा का उपयोग भी शामिल है।
दुनिया भर के हवाई अड्डे नवीकरणीय/हरित ऊर्जा के उपयोग पर लगातार ध्यान दे रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परिषद (एसीआई) के प्रत्यायन कार्यक्रम के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम (यूके) में हीथ्रो, ब्रिस्टल और लंदन गैटविक, नीदरलैंड में एम्स्टर्डम, ग्रीस में एथेंस, नॉर्वे में ओस्लो, बेल्जियम में ब्रुसेल्स, हंगरी में बुडापेस्ट, डेनमार्क में कोपेनहेगन, अमेरिका में सैन डिएगो, कनाडा में वैंकूवर, संयुक्त अरब अमीरात में शारजाह आदि जैसे हवाई अड्डों ने अनेक उपायों का उपयोग करके कार्बन तटस्थता हासिल की है जिनमें हरित/नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग भी शामिल है।
यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
(Source: PIB)