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लखनऊ : चीनी मंडी
उत्तर प्रदेश में चीनी मिल बिक्री घोटाला 2017 में सामने आया था, जिससे उत्तर प्रदेश में हडकंप मच गया था। राज्य चीनी निगम लिमिटेड की 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुए घोटाले में सीबीआई के मुकदमा दर्ज करने के बाद कई बड़े अफसर सीबीआय की ‘रडार’पर आये है। उन जिलों के तत्कालीन डीएम से भी पूछताछ होगी जहां की चीनी मिल बेची गई। इस घोटाले में दो कंपनियां फर्जी पाई गईं है। जल्द ही इस घोटाले का पूरा सच सामने आ सकता है। यह मामला राजकीय गलियारों में भी बहुत उछला जाने की सम्भावना है।
चीनी मिल बिक्री घोटाला बसपा सरकार के कार्यकाल में हुआ था और 2017 में मुकदमा दर्ज हुआ था। शुक्रवार को सीबीआई की लखनऊ एंटी करप्शन ब्रांच ने जब इस सम्बन्ध में एफआईआर दर्ज कर ली गई तो फिर यह चर्चा तेज हो गई कि इसमें कई बड़े फंसेंगे। एफआईआर में पूर्व एमएलसी के बेटों समेत सात लोग नामजद किये गये हैं। जो राज्य के कद्दावर नेता है, या तो उनके करीबी है। सीबीआई ने गोमती नगर थाने से मामले का पूरा ब्योरा लिया। अगले तीन-चार दिन में इस मामले में कई लोगों को पूछताछ के लिये नोटिस जारी किया जायेगा।
चीनी निगम के प्रधान प्रबंधक एसके मेहरा ने नम्रता मार्केटिंग कंपनी के निदेशक व दिल्ली के निवासी राकेश शर्मा, गाजियाबाद के रहने वाले धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद और मिर्जापुर में रहने वाले मो. जावेद तथा गिरियाशों कंपनी के दिल्ली के निवासी राकेश शर्मा की पत्नी सुमन शर्मा, गाजियाबाद के निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, मिर्जापुर निवासी मो. नसीम व मो. वाजिद अली के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। सीबीआय द्वारा जांच तेज करने से अब लखनऊ की राजकीय गलियारों में भी यह मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है।